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नई दिल्ली में संपन्न हुआ बांसुरी स्वराज का रोड शो

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मेट्रो मत न्यूज़ संवाददाता चेतन शर्मा नई दिल्ली  :- तीन मूर्ति मंडल में नई दिल्ली लोकसभा की भाजपा प्रत्याशी सुश्री बांसुरी स्वराज का बाइक रोड शो का कार्यक्रम आयोजित किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष  सुनील यादव एवं तीन मूर्ति मंडल अध्यक्ष सुनील कुमार द्वारा की गई। रोड शो के दौरान बांसुरी स्वराज का जगह-जगह फूलमालाओं द्वारा स्वागत किया गया रोड शो के दौरान उन्होंने मोदी जी की योजनाओं से क्षेत्रीय लोगों को अवगत कराकर वोट देने की  अपील की रोड शो की शुरुआत  जे जे कैंप तुगलक लेन से होते हुए, दरबांगा घाट, इंदिरा गांधी कैंप, पंडारा रोड, जोधपुर मैस, बापा नगर, एनएससीआई क्लब(मंच), सांगली मैस (मंच) व्हाइट हाउस की साइड झुग्गी, नाभा हाउस, बंगाली मार्किट, धोबी घाट हेली लेन, पीएनटी क्वार्टर, हैदराबाद हाउस, जंतर मंतर बैक साइड, आदित्य सदन, प्रेम गली और चेम्सफोर्ड रोड क्लब, फिरोज गांधी कैंप, बैक साइड ली मेरीडन, सुनहरी बाघ घाट, चार दुकान, कृष्णन मेनन मार्ग से  होते हुए  बी आर कैंप ( मंच ) पर रोड शो का  समापन किया गया। इस अवसर पर दिल्ली प्रदेश ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष सुनील यादव,तीन मूर

बाहर वालों से बचे रहो.......

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मेट्रो मत न्यूज़ :- चिकनी चुपड़ी सी बातों में, बलखाती नागिन सी चोटी में जब लोभ गए नग नाथुन में, नैनन के नयन मटक्कन में लाल लिपिस्टिक होठों में, और बिंदी लाल है माथन में उल्टा पल्ला की साड़ी में, पायल और बिछुआ पैरों में देखत में गोरी है भोली सी, पग चले लगे अलबेली सी कोई गुणी कहे है रानी सी, कोई कहे लक्ष्मी दुर्गा सी आई है यहाँ  विचरने को, सब के दिल को छू लेने को वादा करती है बड़े बड़े, इस बार विधायक बनने को अब रहूँ यहीं है कर्म भूमि, सुख दुख सबका अब मेरा है अब सेवा करती रहूँ सदा, यह निश्चय सौभाग्य हमारा है सब लोग हमारे अपने हैं, सबका मुझ पर अधिकार सदा मैं रहूँ ऋणी इन लोगों की, और रखूंगी सबको याद सदा बातें  सुनकर सब हर्ष उठे, सब किया न्योछावर देवी पर सब एक साथ हैं बोल उठे, पगड़ी अब देवी के चरणों पर देवी ने दगा दिया सबको , जब याद उन्हें घर आया है कर्म भूमि का ध्यान कहाँ, अब सुख मेरा दुःख तेरा है बदले सुर अब देवी के, जनता के  मुंह पर ताला है नीरज कहते हैं सुनो भाई, नेता अच्छा घर वाला है जो साथ खड़ा हो मुश्किल में, नेता ऐसा चुनो सदा जो लोकल और पड़ोसी हो,  जिसका हो दीदार सदा बाहर वालों से बचे

गाढ़ा समय ...

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 मेट्रो मत न्यूज़ :- प्रार्थनाएं मूक होकर,काम अपना कर रहीं थी। आह पूरित श्वास जब-तब,सांस विह्वल भर रही थी। तन शिथिल हो गिर पड़ा था, दौर जो बीता  कड़ा था, हृदय का था चाप बढ़ता समय का भी रथ अड़ा था। लोक से परलोक तक की, राह दुर्गम चल रही थी। आह पूरित श्वास जब-तब,सांस विह्वल भर रही थी। टूटती संवेदनाएं मौन साधे थीं, कर्म की रसरी हमारे हाथ बांधे थी, कुछ न रोचक अब बचा था योजनाओं में, एक ही थे कृष्ण उनकी एक राधे थी। काल के कंकाल पर फिर एक संध्या ढल रही थी। आह पूरित श्वास जब-तब,सांस विह्वल भर रही थी। प्रार्थनाएं मूक होकर,काम अपना कर रहीं थी। आह पूरित श्वास जब-तब,सांस विह्वल भर रही थी। 🌹🌹 डॉ नीलिमा पाण्डेय

28 अप्रैल को हापुड़ में होगा 160 वाँ पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी जन्मोत्सव

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मेट्रो मत न्यूज़ :- गाजियाबाद,शुक्रवार,26 अप्रैल 2024,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् उत्तर प्रदेश एवं आर्य समाज हापुड़ के तत्वावधान में वेद प्रचारक,महान मनीषी,महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनन्य भक्त पं. गुरुदत्त विद्यार्थी का 160 वाँ जन्मोत्सव बुधवार 28 अप्रैल 2024 को प्रातः 8 से 11 बजे तक आर्य समाज हापुड़  में आयोजित किया जा रहा है। यह बात डा आरके आर्य ने शंभू दयाल दयानन्द वैदिक सन्यास आश्रम दयानन्द नगर गाजियाबाद  में कही। परिषद के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य समारोह की अध्यक्षता करेंगे एवं प्रदेश अध्यक्ष आनंद प्रकाश आर्य समारोह के संयोजक रहेंगे।धर्माचार्य आचार्य धर्मेन्द्र शास्त्री यज्ञ के ब्रह्मा होंगे,मुख्य वक्ता आचार्य वाचस्पति जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ) पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी के जीवन पर प्रकाश डालेंगे, स्वागताध्यक्ष डा विकास अग्रवाल (क्षेत्रीय महामंत्री भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश) रहेंगे तथा सर्वश्री महेन्द्र भाई,ज्ञानेन्द्र सिंह आर्य, कृष्ण कुमार यादव,अशोक कुमार आर्य,सुभाष चन्द आर्य,नरेन्द्र क

धनक नीलिमा' नारी के विषण्ण जीवन की गाथा

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"जहां प्रतीक्षा में बैठी रही मैं, वह धरा दरक गई है।" मेट्रो मत न्यूज़ :- डॉ. नीलिमा पांडे जी एक प्रतिभावान और बेबाक कवयित्री हैं। 'धनक नीलिमा' नीलिमा जी का काव्य संग्रह है जिसमें उनकी 100 से अधिक कविताओं का संकलन है। इस पुस्तक में नारी के प्रेम, समर्पण, अंतर्द्वंद्व, विद्रोह, परिवर्तन आदि भावों को बहुत बारीकी से उकेरा गया है। कविताएं छोटी-छोटी हैं परंतु उन पर घंटों तक विचार किया जा सकता है। मेट्रो मत संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने बताया  'रूपांतरण', 'व्यवस्था', 'अकेलापन', 'मिलन', 'रोशनी' आदि ऐसी कविताएं हैं जो छोटी होते हुए भी गागर में सागर भरने का काम करती है। 'क्षितिज बन जाऊं' में जहां स्त्री के प्रेम और समर्पण की पराकाष्ठा है वहीं 'एकल प्रवास' में पुरुष के झूठे प्रेम का अनावरण होते भी देखा जा सकता है। "मैं भीतर से हिल रही हूं, जैसे भूकंप आ रहा हो...." और "टूटे तिनके दे- देकर बहलाते रहे मुझे..." जैसी पंक्तियां पाठक के हृदय में दर्द का सुआ चुभो देती हैं। इनकी कविताओं में स्त्री के

गहना गढ़ा दे पिया....

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मेट्रो मत न्यूज़ :-  इक गहना नया सा गढ़ा दे पिया, मोहे माटी की चादर ओढ़ा दे पिया। चादर ओढ़े मैं बगीचे में जाऊॅंगी, पौधों में समाकर फूल महकाऊॅंगी,  जल की तरंगों के संग  क्यारियाॅं सजाऊॅंगी । आ बगीचे में नया रंग चढ़ा दे पिया , मोहे माटी की चादर ओढ़ा दे पिया। धूल ही धूल बन मैं उड़ती फिरूॅंगी, किसी संन्यासी की मैं पदरज बनूॅंगी, पीपरा का बीज लेकर , पावन हो जाऊॅंगी। माथे से लगा के मान बढ़ा दे पिया, मोहे माटी की चादर ओढ़ा दे पिया। इक गहना नया सा गढ़ा दे पिया, मोहे माटी की चादर ओढ़ा दे पिया। डॉ नीलिमा पाण्डेय मुंबई ।

मैं खुद से कुछ बोल रही हूॅं...

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मेट्रो मत न्यूज़ :- बैठ के गुमसुम गैलेरी में, मन की गाॅंठें खोल रही हूॅं। मन ही मन बतिया लेती हूॅं  मैं खुद से कुछ बोल रही हूॅं। किस कारण से मिलते हैं सब! क्या कारण जो जुड़ते हैं सब? क्या है इन प्रश्नों का उत्तर, खोज रही हूॅं,तोल रही हूॅं। मन की गाॅंठें खोल रही हूॅं। मैं खुद से कुछ बोल रही हूॅं। कितने जीव धरा पर उतरें? कितने डूबें, कितने उबरें? क्यों कोई लगता अपना सा? भ्रम के भॅंवर में डोल रही हूॅं। मन की गाॅंठें खोल रही हूॅं। मैं खुद से कुछ बोल रही हूॅं। बैठ के गुमसुम गैलेरी में, मन की गाॅंठें खोल रही हूॅं। मन ही मन बतिया लेती हूॅं  मैं खुद से कुछ बोल रही हूॅं। डॉ नीलिमा पांडे   मुंबई।