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साधना के जगत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अगर कोई बात है तो वो है " संग "

 ॥ आज का भगवद चिन्तन ॥ मैट्रो मत न्यूज ( अरुन शर्मा दिल्ली ) साधना के जगत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अगर कोई बात है तो वो है " संग "। हम कितना भी भजन कर लें, ध्यान कर लें लेकिन हमारा संग अगर गलत है सुना हुआ, पढ़ा हुआ और जाना हुआ तत्व आचरण में नहीं उतर पायेगा। आपको धनवान होना है तो धनी लोगों का संग करो, राजनीति में जाना है तो राजनैतिक लोगों का संग करो। पर  अगर रसिक बनना है, भक्त बनना है तो संतों का और वैष्णवों का संग जरूर करना पड़ेगा। दुर्जन की एक क्षण की संगति भी बड़ी खतरनाक होती है। वृत्ति और प्रवृत्ति तो संत संगति से ही सुधरती है। संग का ही प्रभाव था लूटपाट करने वाले रामायण लिखने वाले वाल्मीकि बन गए। थोड़े से भगवान वुद्ध के संग ने अंगुलिमाल का ह्रदय परिवर्तन कर दिया। महापुरुषों के संग से व्यवहार सुधरता है। 🙏🏻 हरे कृष्णा 🙏🏻  

नयन मलते हैं सुमन, भोर की अँगड़ाई है :- विनय विक्रम सिंह

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🌸🌹      बसंत      🌹🌸 मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा  ) :-   नयन मलते हैं सुमन, भोर की अँगड़ाई है। पीत वसना है धरा, मुख सलज अरुणाई है।। गुंजरित मुद प्राण ले, प्रकृति सरसिज हो रही। मुग्धकारी कोकिला, स्वर मधुर शुभ बो रही। मद मलय मदिरा मयी, स्पंदना नव छाई है।। नयन मलते हैं सुमन, भोर की अँगड़ाई है।१। संचरित नव चेतना, नव वधू सा है भुवन।  पवन चंचल डोलता, छू रहा है हर सुमन। अधखिली कलिका भ्रमित, सकुच मन मुसकाई है। नयन मलते हैं सुमन, भोर की अँगड़ाई है।२। स्वप्नवत चहुँ-दिश सजीं, इंद्रधनुषी हो रहीं। कामना हर हर्षिता, अंकुरित तन हो रहीं। छन्दलय की रागिनी, श्रृंगार बन अकुलाई है।  नयन मलते हैं सुमन, भोर की अँगड़ाई है।३। भृंग अविरल डोलते, शीतल समीरण कर रहे। गुन परागित नेह से, कोष हृद मधु भर रहे। पुहुप ने मधुमास की, मोहक छटा छनकाई है।  नयन मलते हैं सुमन, भोर की अँगड़ाई है। पीत वसना है धरा, मुख सलज अरुणाई है।४। लेखक :- ( विनय विक्रम सिंह ) - मनकही        

बस रह जाता है सिर्फ आपका 'अक्स' ''दीवार पर लटका हुआ"

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मैट्रो मत न्यूज  ( अरुण शर्मा 'अक्स' ) मेरी मीत ज़िन्दगी की... तमन्नाएँ ,अपेक्षाएँ , इच्छाएँ ,आरजुएँ , भावनाएँ..... सब जाने कहाँ गुम हो जाती हैं ?? बस रह जाता है सिर्फ आपका 'अक्स'  दीवार पर लटका हुआ । ~आपका अरुण 'अक्स'

आखिरकार रसरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा :- लाल बिहारी

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मैट्रो मत न्यूज  ( अमित पाठक बहराइच ) (लेख- लाल बिहारी  वरिष्ट साहित्यकार, पत्रकार.) यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को  अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी क्योंकि  21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति का कड़ा विरोध जताते हुए अपनी मातृभाषा (बंगाली भाषा) के अस्तित्व बनाए रखने के लिए  आंदोलन शुरु किया। पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी लेकिन लगातार विरोध जारी रहा आखिर सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा।   संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया में बोली जाने वाली कुल भाषाएं लगभग 6900 से  उपर  है। इनमें से 90 फीसद भाषाएं बोलने वालों की संख्या एक लाख से कम है यानी विलुप्ती के  कगार पर  है । दुनिया की कुल आबादी में तकरीबन 60 फीसद लोग 30 प्रमुख भाषाएं बोलते हैं, जिनमें से दस सर्वाधिक बोले जानी वाली भाषाओं में-जापानी, अंग्रेजी, रूसी, बांग्ला, पुर्तगाली, अरबी, पंजाबी, मंदारिन, हिंदी और स्पैनिश है। भारत में 29  भाषाएँ ऐसी है  उनको  बोलने वालों  की संख्या दस  लाख

शिवरात्रि अर्थात अंधकार में प्रकाश की सम्भावना..

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।। आज का भगवद चिन्तन ।। मैट्रो मत न्यूज ( अरुन शर्मा दिल्ली ) शिवरात्रि अर्थात अंधकार में प्रकाश की सम्भावना। जिस तरह भोलेनाथ प्राणी मात्र के कल्याण के लिए जहर पीकर देव से महादेव बन गए उसी प्रकार हमें भी समाज में व्याप्त निंदा, अपयश, उपेक्षा,और आलोचना रुपी जहर को पीकर मानव से महामानव बनना होगा। भगवान् शिव का एक नाम आशुतोष भी है। जल धारा चढ़ाने मात्र से प्रसन्न होने वाले आशुतोष भगवान् शिव का यही सन्देश है कि आपको अपने जीवन में जो कुछ भी और जितना भी प्राप्त होता है, उसी में प्रसन्न और सन्तुष्ट रहना सीखें।  भगवान शिव इसलिये देवों के देव हैं क्योंकि उन्होंने काम को भस्म किया है। अधिकतर देव काम के आधीन हैं पर भगवान शिव राम के आधीन हैं। उनके जीवन में वासना नहीं उपासना है। शिव पूर्ण काम हैं, तृप्त काम हैं।  काम माने वासना ही नहीं अपितु कामना भी है, लेकिन शंकर जी ने तो हर प्रकार के काम, इच्छाओं को नष्ट कर दिया। शिवजी को कोई लोभ नहीं , बस राम दर्शन का, राम कथा सुनने का लोभ और राम नाम जपने का लोभ ही उन्हें लगा रहता है। भगवान शिव बहिर्मुखी नहीं अंतर्मुखी रहते हैं। अंतर्मुखी रहने वाला साधक ही शांत,

जनपद गोण्डा के स्टेशन रोड स्थित बाबा दुखहरण नाथ मंदिर पर शिवरात्रि के पर्व पर उमड़ी भक्तो की भीड़..

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मैट्रो मत न्यूज ( उद्देश्य कुमार पाठक )   गोण्डा के दुखहरण नाथ मंदिर पर आज शिवरात्रि के इस अवसर पर लगभग पचास हजार शिव भक्तों ने किया जलाभिषेक बाबा दुखहरण नाथ मंदिर एक बहुत प्रचीन काल की मंदिर है। यह जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है भोले बाबा उसकी मुराद पूरी करते है वही बाबा के भक्त सोनू पाठक ने बताया कि हम हर दिन बाबा बोले नाथ के दरबार में अपनी हजारी लगते है। और मेरी हर दुःख बाबा हर लेते है साथ ही साथ मंदिर के प्रबंधक राघवेन्द्र मोहन (छोटू महंथ )ने बताया कि इस बार बाबा के इस शिवरात्रि को देखते हुये भीड़ को काबू में रख कर बाबा भोले नाथ का सभी शिवभक्त जलाभिषेक करेंगे और शाम को बाबा भोले नाथ की भव्य सिंगार होगा उसके बाद मंदिर की आरती की जायेगी प्रबंधक जी के द्वारा बताया गया कि दो दिन पूर्व ही सभी प्रकार की बंदोबर्श कर ली गई है हर साल के तरह इस बार भी बाबा भोले नाथ का जलाभिषेक सन्ति पूर्वक होगा ।  

पंडित हरिदत्त शर्मा फाउंडेशन व जयजयवंती फाउंडेशन द्वारा कार्यक्रम का आयोजन हुआ सम्पन्न..

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मैट्रो मत न्यूज    ( चेतन शर्मा नोएडा ) :- नोएडा के सेक्टर 40 स्थित पंडित हरिदत्त शर्मा भवन में कार्यक्रम का आयोजन पंडित हरिदत्त शर्मा फाउंडेशन व जयजयवंती फाउंडेशन के तत्वाधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में वशिष्ठ अतिथि गौतमबुद्ध नगर सांसद डॉ महेश शर्मा व अध्यक्ष महिला आयोग उत्तर प्रदेश विमला बाथम, जनार्दन द्विवेदी, डॉ वी एस चौहान, डॉ नरेश शर्मा, मुरारी लाल, कुसुम 'प्रगल्भ', डॉ अनिल चतुर्वेदी व बाल स्वरूप अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अशोक चक्रधर द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि यह साहित्य कार्यक्रम पहली बार पंडित हरिदत्त शर्मा भवन में कराया जा रहा है इसका श्रेय अजय शर्मा, शैलेन्द्र शर्मा, राजकुमार शर्मा व मनोज शर्मा को जाता है। इस मोके पर अथितियों द्वारा दो किताबो का विमोचन किया गया जिसमे कविवर राधेश्याम के कव्य-संकलन 'समय के पंख' प्रमुख किताब थी। इस अवसर पर उन्होने अपनी पुरानी यादे ताजा करते हुए प्रमुख विषयो पर चर्चा की व सभी अथितियों ने एक एक कर अपने विचार रखे। आये हुए अतिथियो का स्वागत अजय शर्मा द्वारा फूल माला पहनाकर किया गया। इस कार्यक्रम