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ज़माना चाहता है मौत लेकिन मुझे जीने की ख़्वाहिश हो रही है :- लेखक बलजीत सिंह बेनाम

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मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा नई दिल्ली ) गजल :- दिलों पर जब से आतिश हो रही है निग़ाहों की गुज़ारिश हो रही है। ज़माना चाहता है मौत लेकिन मुझे जीने की ख़्वाहिश हो रही है। नगर की सारी गलियाँ सूनी क्यों हैं कहीं क्या कोई साज़िश हो रही है। ग़ज़ल के नाम पर होते लतीफ़े ग़ज़लकारों से लग्ज़िश हो रही है। लेखक :- बलजीत सिंह बेनाम

किसका श्राद्ध कौन करे.. लेखक :- लाल बिहार लाल

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मैट्रो मत न्यूज  ( लेखक- लाल बिहार लाल ) पिता के श्राद्ध का अधिकार उसके पुत्र को ही है किन्तु जिस पिता के कई पुत्र हो उसका श्राद्ध उसके बड़े पुत्र, जिसके पुत्र न हो उसका श्राद्ध उसकी स्त्री, जिसके पत्नी नहीं हो, उसका श्राद्ध उसके सगे भाई, जिसके सगे भाई न हो, उसका श्राद्ध उसके दामाद या पुत्री के पुत्र (नाती) को और परिवार में कोई न होने पर उसने जिसे उत्तराधिकारी बनाया हो वह व्यक्ति उसका श्राद्ध कर सकता है। पूर्वजों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध शास्त्रों में बताए गए उचित समय पर करना ही फलदायी होता है। महाभारत के प्रसंग भी इस संदर्भ में एक कहानी है- कर्ण को मृत्यु के उपरांत चित्रगुप्त ने मोक्ष देने से इनकार कर दिया था। कर्ण ने कहा कि मैंने तो अपनी सारी सम्पदा सदैव दान-पुण्य में ही समर्पित की है, फिर मेरे उपर यह कैसा ऋण बचा हुआ है? चित्रगुप्त ने जवाब दिया कि राजन, आपने देव ऋण और ऋषि ऋण तो चुका दिया है, लेकिन आपके उपर अभी पितृऋण बाकी है। जब तक आप इस ऋण से मुक्त नहीं होंगे, तब तक आपको मोक्ष मिलना कठिन होगा। इसके उपरांत धर्मराज ने कर्ण को यह व्यवस्था दी कि आप 16 दिन के लिए पुनः पृथ्वी मे जाइए

हिंदी आध्यात्मिक इंजीनियरिंग द्वारा भारत फ़िर एक बार २१.५ ट्रिलियन USD पे पहुंचने की उम्मीद :- लेखक अभिषेक देशपांडे

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मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पाण्डे नई दिल्ली ) आध्यात्मिक इंजीनियरिंग मानव विकास और समृद्धि के लिए काम करता है। वर्तमान में आध्यात्मिक अभ्यास (जैसे हवन अर्थात अग्नि पूजा, यंत्र पूजा, मूर्ति पूजा और प्रकृति पूजा) व्यक्तिवादी बन जाते हैं और केवल अपना उद्देश्य प्राप्त करने के लिए। आध्यात्मिक इंजीनियरिंग का सुझाव है कि सामाजिक और राष्ट्रीय हित के लिए आध्यात्मिक अभ्यास करने की आवश्यकता है। अभी गणेश महोत्सव, दुर्गा महोत्सव जैसे आध्यात्मिक धार्मिक आयोजन अपना आध्यात्मिक महत्व खो चुके हैं और केवल उत्सव बन गए हैं। समाज के लिए लाभ प्राप्त करने के लिए उस धार्मिक घटनाओं में आध्यात्मिक महत्व को बहाल करने की आवश्यकता है। प्राचीन काल में राजा या राज्यपाल अपने स्वयं के साथ-साथ समाज और राज्य के विकास के लिए नियमित साधना करते थे। भारत में इस्लामी शासन से पहले, राजा भगवान और इंद्र और भगवान वरुण की आध्यात्मिक पूजा और खेती और जीवित डाकू के लिए वर्षा जल की देवी जैसे देवताओं से आशीर्वाद पाने के लिए अग्नि पूजा (यज्ञ) कर रहे थे। जबकि घातक बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं आदि के खतरे को जीतने के लिए भगवान यम की आध्यात्मिक

74 वे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के रचनात्मक समूह "नन्हे क़दम ऊँची उड़ान" का कार्यक्रम सम्पन्न..

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मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा नोएडा ) 74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के रचनात्मक समूह "नन्हे क़दम ऊँची उड़ान" की संस्थापिका अभिलाषा विनय द्वारा विद्यालय के छात्र-छात्राओं व उनके शिक्षकों के साथ राष्ट्र प्रेम आधारित काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें गौतम बुद्ध नगर के सभी ब्लाक के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों ने देशप्रेम से ओत-प्रोत प्रस्तुतियाँ दीं। आयोजन की अध्यक्षता जिला समन्वयक श्री सूर्य प्रकाश राय ने की, व उपाध्यक्ष (खण्ड शिक्षा अधिकारी) वेद प्रकाश गुप्ता, मुख्य अतिथि वरिष्ठ अवधी रचनाकार विनय विक्रम सिंह व विशिष्ट अतिथि कनाडा से वरिष्ठ साहित्यकार अनुपम मिठास जी का प्रेरक सान्निध्य रहा, आयोजन का संचालन कवयित्री कविता भटनागर द्वारा किया गया। आयोजन में 25 से भी अधिक कवि, कवयित्रियों व छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, छात्र-छात्राओं की अनुपम प्रस्तुतियों से सभी सम्मोहित हो गए। आयोजन का समापन अध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश राय द्वारा अध्यक्षीय वक्तव्य द्वारा धन्यवाद ज्ञापित कर किया गया।

राजदूतावास व स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र पारामारिबो, सूरीनाम एवं अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रिका "प्रवासी संसार" के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का हुआ आयोजन...

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मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा नई दिल्ली ) भारत का राजदूतावास व स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र पारामारिबो, सूरीनाम एवं अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रिका "प्रवासी संसार" के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी (वेबिनार) सूरीनाम में बैठक गाना और चौताल पर विशद चर्चा हेतु सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रख्यात लोकविद की अध्यक्षता में, सूरीनाम की संसद के उपसभापति डॉ देव शर्मन (मुख्य अतिथि), श्रवण कुमार बद्ज्लाला (विशिष्ट अतिथि), सूरीनाम के राष्ट्रपति के नीति सलाहकार हरिकेश मीणा (विशिष्ट अतिथि), उप सचिव (हिंदी) विदेश मंत्रालय, भारत सरकार की गरिमामयी उपस्थिति में बीज वक्तव्य का अधिभार डॉ नरेन्द्र मोकम सिंह, भारतविद, सूरीनाम, डॉ राम बहादुर मिश्र,संस्कृतिविद, डॉ वनिता रामनाथ,भाषा एवं बैठक गाना विशेषज्ञ द्वारा निर्वहित किया गया। चर्चा व सुमधुर प्रस्तुतियों में सूरीनाम के बैठक गाना और चौताल कलाकार, नीलम मातादीन, जया पंचू, आदेश Vपंचू , स्टैनले मनोरथ, तेज प्रताप खेदु, सुख्यात लोकगीत विशेषज्ञ आद० विद्या विंदु सिंह व अवधी रचनाकार विनय विक्रम सिंह उपस्थित रहे, आयोजन का सफल मंच संचालन रा

स्वामी आर्य वेश श्री कृष्ण का चरित्र योगिराज का रहा :- राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

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मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पाण्डे नई दिल्ली ) केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में 1939 के हैदराबाद सत्याग्रह आंदोलन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई व योगेश्वर श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर ऑनलाइन उनके कार्यो को स्मरण किया गया । आर्य संन्यासी स्वामी आर्य वेश(प्रधान, अन्तराष्ट्रीय आर्य समाज) ने कहा कि निजाम हैदराबाद के अत्याचारों से तंग आकर आर्य समाज ने उन्हें 1937 में चेतावनी दी गई, फिर कोई असर न होने पर 1939 में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया गया । देश भर से जत्थे आने शुरू हो गए आखिरकार निजाम को झुकना पड़ा आर्य समाज के 38 सत्याग्रही शहीद हुए। भारत सरकार ने 4000 आर्यो को स्वतंत्रता सेनानी स्वीकार कर पेंशन भी दी । सरदार पटेल ने यह स्वीकार किया कि यदि आर्य समाज ने हैदराबाद सत्याग्रह न किया होता तो भारत में उसे शामिल करना कठिन होता । उन्होंने कहा कि आर्य समाज का अर्थ था विद्रोह, क्रांति और बलिदान तभी महर्षि दयानंद जी से प्रेरणा पाकर हजारो लोग स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और अनेकों शहीद हुए,लेकिन उनका कहीं जिक्र भी नहीं होता । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आ

78वीं वर्षगांठ पर अगस्त क्रांति के सेनानियों को दी श्रधांजलि..

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मैट्रो मत न्यूज  ( नीरज पाण्डे नई दिल्ली ) केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में 9 अगस्त 1942 के बलिदानियों को ऑनलाइन श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उल्लेखनीय हैं कि महात्मा गांधी के आह्वान पर अंग्रेजों भारत छोड़ो व करो या मरो के संकल्प के साथ सम्पूर्ण स्वतंत्रता का आह्वान किया गया था। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि एक ओर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज को नारा दिया था दिल्ली चलो और दूसरी ओर भारत छोड़ो आंदोलन की नींव डाली गई थी, जो देश की आजादी की लड़ाई में ब्रिटिश साम्राज्य के कफन में आखिरी कील साबित हुई। उस समय पूरा देश महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक जुट हो गया था हजारों लोग शहीद हुए व गिरफ्तार हुए।सरकार को आंदोलन को दबाने में एक वर्ष का समय लग गया था।यह आजादी ऐसे ही नहीं मिल गई इसके लिए हजारों लोगों ने बलिदान दिए और जेलें भरी आज उन स्वतन्त्रता सेनानियों को स्मरण करने और देश की एकता अखंडता को सुरक्षित रखने के संकल्प लेने का दिन है। प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आजादी की लड़ाई दो विचारधारों से लड़ी गई एक तरफ पं रामप्रसाद

आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम व्यक्तित्व व कृतित्व" पर आर्य विचार गोष्टी का हुआ आयोजन..

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मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पाण्डे नई दिल्ली ) जनपद गजियाबाद में आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम व्यक्तित्व व कृतित्व" पर आर्य विचार गोष्टी का आयोजन किया गया।यह परिषद का कोरोना काल में 70वां वेबिनार था। वैदिक विद्धवान आचार्य वीरेन्द्र विक्रम ने कहा कि श्री राम का पूरा जीवन मर्यादा से बंधा हुआ है, वह एक योग्य सुपुत्र,योग्य पति, योग्य भाई और आदर्श राजा का जीवन जिये। उन्होंने स्वयं स्थापित जीवन मूल्यों सिद्धान्तों का पालन किया और विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोया। उन्होंने हर क्षेत्र अपनी छाप छोड़ी जो अनुकरणीय है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि श्रीराम के जीवन चरित्र को आज आत्मसात करने की आवश्यकता है।उनका जीवन त्याग,समर्पण बलिदान का अनुपम उदाहरण है।श्री राम भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ हैं। आर्य नेता कन्हैया लाल आर्य (मंत्री,परोपकारिणी सभा, अजमेर) ने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण पर हम स्वागत व खुशी प्रकट करते हैं साथ ही हमारा मानना है कि चित्र की नहीं अपितु चरित्र की पूजा होनी चाहिये और त्याग को जीवन में स्थ

संस्कार भारती की गाजियाबाद इकाई के संयोजक डा.जयप्रकाश मिश्र की ओर से एक इंद्रधनुषी काव्य गोष्ठी सम्पन्न..

मैट्रो मत न्यूज (चेतन शर्मा दिल्ली ) संस्कार भारती की गाजियाबाद इकाई के संयोजक डा.जयप्रकाश मिश्र की ओर से एक इंद्रधनुषी काव्य गोष्ठी मीट गूगल डाट काम पर सम्पन्न हुई। इस आयोजन की अध्यक्षता तड़िता काव्य के प्रवर्तक और वरिष्ठ गीतकार सच्चिदानंद तिवारी शलभ ने की कार्यक्रम के आयोजन, संचालक व वरिष्ठ कवि चंद्रभानु मिश्र ने वाणी वंदना के उपरान्त, संस्कार भारती का बहुत सुंदर परिचय संस्कृत काव्य में दिया। आपने अध्यक्षीय काव्यपाठ के पूर्व भी एक गीत पढ़ा- चारों तरफ आग की लपटें, मचा हुआ कोहराम जी. कवयित्री गार्गी कौशिक ने राष्ट्रीय एकता के सम्बंध में कहा-ना मैं हिंदू, ना मैं मुस्लिम, मैं तो बस इंसान हूं.. अशोक गोयल ने नटराज भगवान शिव की शुभ तिथि का उल्लेख करते हुए- जय महाकाल जय महाकाल, जो पाप शाप का हर्ता है, जो युग परिवर्तन करता है,यह पंक्तियां पढ़ीं. कवि विनोद शर्मा ने वर्षा आधारित गीत पढ़ा -उमड़, घुमड़ मेघ आये, कैसे हैं, वे मुझे बतायें.... कन्हैया लाल खरे जी ने दो गीत पढ़े, पहला-सर्वधर्म सद्भाव हमारा, संस्कृति बहुत पुरानी है, और दूसरा गीत-दीप जल कर बुझे, बुझ के जलते लगे, का वाचन किया कवयित्री डा.

बेसिक शिक्षा विभाग के काव्य समूह "परवाज़-३" के तत्वावधान में राज्य स्तरीय ऑनलाइन काव्य संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न..

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मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) बेसिक शिक्षा विभाग के काव्य समूह "परवाज़-३" के तत्वावधान में राज्य स्तरीय ऑनलाइन काव्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में अध्यक्ष अब्दुल मुबीन सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा, विशिष्ट अतिथि भगवती चरण वर्मा के पौत्र श्री चन्द्र शेखर वर्मा, प्रदीप कुमार सिंह सहायक निदेशक, संयुक्त शिक्षा की उपस्थिति व अखिलेश पाण्डेय "अखिल" तथा अदील साहब के संचालन में कवयित्री अभिलाषा विनय ने "लुटाई जान माटी पे" न सोचा एक पल को भी। फ़लक तक गूँजती उनकी कहानी याद करती हूँ।" इन पंक्तियों से हमारे देश के रक्षकों व शहीद जवानों पर काव्यांजलि पुष्प अर्पित किए। आयोजन में राज्य भर के कवि व कवयित्रियों ने मनोहारी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया।

हंडियों की तलछटी में मौन था "पायवट पर प्रश्न जैसे गौण" :- लेखक विनय विक्रम सिंह # मनकहि

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मैट्रो मत न्यूज  (चेतन शर्मा दिल्ली ) 🌹 समय से दो-टूक 🌹 जब समय गुजरा लिये पगडंडियाँ। ताड़ ऊँचे और खाली हंडियाँ।। हंडियों की तलछटी में मौन था, पायवट पर प्रश्न जैसे गौण था। ग़र्द के गुब्बार जड़ में थे भरे। छाँव की सिमटी-सिकुड़ती मंडियाँ।१। छोड़ कर आँखें वहीं उस झाड़ पर, ऊँघती परछाईं का मन ताड़ कर। ऊन हर जड़ से उतारा मूँड़ कर, ग़र्द से बुन लीं हजारों ठंडियाँ।२। ले अंगीठी हाँड़ लड़ते लाड़ से, मुख किलकते एक कलछुल माड़ से। लाल चूल्हा राख उगले रात-दिन, शाम ढोती हर सुबह कुछ कंडियाँ।३। पाँव सूखा फट बिवाई हो मरा, हर क़दम इक कार्यवाही हो सरा। बूँद छींटे बन हवा में घुल गयी, हँस रही हैं तीन रंगी झंडियाँ।४। - विनय विक्रम सिंह #मनकही

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर ऑनलाइन गोष्ठी में काव्यपाठ का हुआ आयोजन..

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मैट्रो मत न्यूज (चेतन शर्मा दिल्ली ) गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, स.अ. व कवयित्री अभिलाषा विनय द्वारा संस्थापित सृजनोन्मुखी समूह "नन्हे क़दम ऊँची उड़ान" के तत्वावधान में परिषदीय विद्यालय के छात्र/छात्राओं व शिक्षकों ने अध्यक्ष सूर्य प्रकाश राय (जिला समन्वयक), मुख्य अतिथि वेद प्रकाश, (खण्ड शिक्षा अधिकारी) व विशिष्ट अतिथि के रूप में कनाडा से साहित्यकार अनुपम मिठास की उपस्थिति में, कविता भटनागर के व्यवस्थापन व अभिलाषा विनय के संचालन में ऑनलाइन गोष्ठी में मनोहारी काव्यपाठ किया। उ.प्रा.वि. वाजिदपुर की प्र.अ. मीनू गुप्ता की छात्रा संतोषी ने प्रथम गुरु माँ पर कविता सुनाई, 'बसी है मुझमें उसकी जान, लोरी ममता की वो गाती"। काजल शर्मा-छात्रा गिझोड़ ने गुरु महिमा पर प्रस्तुति दी, "गुरु वही जो जीना सिखा दे, आपसे आपकी पहचान करा दे।।" इन पंक्तियों से सबको भावविभोर कर दिया। चंचल-छात्रा मोमनाथल द्वारा पठित कविता, आओ मिलकर सबको समझाएँ , पौधारोपण से खुशियाँ फैलाएं।।" मुक्तकण्ठ से सराही गयी। रिंकी चौहान-छात्रा सेक्टर-१२ नोयडा ने, "बेटियाँ हैं सबकी शान, इनको दो शिक्षा और

सम्पूर्ण चिकित्सकों को ढेरों धन्यवाद :- अनिल आर्य

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मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पाण्डेय गाजियाबाद ) केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस" पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन कर चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया गया। गायत्री मंत्र व ईश्वर भक्ति के भजन के माध्यम से आचार्य महेन्द्र भाई ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ये दिन है संपूर्णं चिकित्सको के लिये सम्मान के दिन के रुप में मनाने का है जो मरीजों के जीवन को बचाने में अपना सब कुछ दाव पर लगा देते हैं।चिकित्सक दिवस अर्थात् एक पूरा दिन जो चिकित्सकों के प्रयासों और भूमिका को याद करने के लिये समर्पित है।ये एक दिन है उन्हें ढ़ेर सारा धन्यवाद कहने का जिन्होंने अपने मरीजों का ध्यान रखा,उन्हें लगाव और प्यार दिया।यदि दुनिया मे ईश्वर और माता पिता के बाद किसी का सर्वाधिक सम्मान होता है तो वो चिकित्सक का होता है।चिकित्सक राष्ट्र का प्राण है।आज कोरोना काल मे हम चिकित्सकों को कोरोना योद्धा के रूप में जान रहे है जो अपनी जान पर खेल कर लोगो की सेवा कर रहें है। संयोजक सौरभ गुप्ता ने गोष्ठी का संचालन करते हुए जानकारी दी कि राष्ट्रीय चिक

वह कश्मीर हमारा है वह लद्दाख हमारा है :- लेखक अमित पाठक

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मैट्रो मत न्यूज  ( लेखक अमित पाठक बहराइच ) जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है, वह कश्मीर हमारा है वह लद्दाख हमारा है..! " तोड़ के परमिट सिस्टम की, जिद पर जनसंघी हुआ अटल, कहा अटल दुनिया को बताओ एक निशान ही होगा अटल, चले अटल चलते ही गए और अब कश्मीर हमारा है, वह कश्मीर हमारा है वह लद्दाख हमारा है..! ""23 जून खोया भारत ने बोस दूसरा रहस्यमयी, एक विधान, निशान, प्रधान की जली तभी से ज्योतिनयी, पत्थर सहकर जीत लिया कश्मीर का स्वर्ग हमारा है ! वह कश्मीर हमारा है वह लद्दाख हमारा है।

संस्कार भारती लोक कला अवधि के तत्वावधान में "अवधी कवि सम्मेलन" का आयोजन सम्पन्न

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मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) दिल्ली से सटे गाजियाबाद में संस्कार भारती लोक कला अवधी, के तत्वावधान में एक अवधी कवि सम्मेलन का आयोजन व्हाट्सएप के माध्यम से संपन्न हुआ। इस काव्य समारोह की अध्यक्षता तड़िता काव्य के प्रणेता तथा गीतकार सच्चिदानंद तिवारी शलभ ने की। मुख्य अतिथि के रूप में हास्य व्यंग्य के रसावतार बाबा कानपुरी थे। उनके द्वारा पठित हास्य रचनाओं, "अब कानपुर मा है निवास, हम ठेलिया रोजु लगाइत है बिस्कुट औ दालमोट बेचन का चमनगंज नित जाइत है।" तथा "लखनऊ की भूल भुलैया के चक्कर 25 लगाय गयन, भूली भट्की मिलि जाय कोई पर हमही राह भुलाय गयन।" ने सबको हास्य रस से सराबोर कर दिया। वाणी वंदना करते हुए कवि शलभ ने यह गीत पढ़ा- राह देव मइया, प्रवाह देव मैया, कविता कय सरिता की थाह देव मैया... "हम न जैबै बलम घर बाबुल.....यह गाया, कानपुर की कवयित्री संतोषी दीक्षित जी ने। दिल्ली की कवयित्री सुषमा शैली ने गाया- पढ़यं सैंया सुबहियां अखबार रे...। वरिष्ठ कवि इन्द्रेश भदौरिया ने व्यंग्य रचना पढ़ी- बिन गया किहे पुरिखा तरि गें।अब जब बारी आई डा.अवधेश तिवारी भावुक जी की, तो उन्

दिल है नादां दिल से अपने मैं बग़ावत क्या करूँ..:- लेखक बलजीत सिंह बेनाम

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मैट्रो मत न्यूज  ( चेतन शर्मा दिल्ली ) दिल है नादां दिल से अपने मैं बग़ावत क्या करूँ उनसे नफ़रत क्या करूँ उनसे मोहब्बत क्या करू। लौट कर वापस न आया है सितमगर आज तक ये बता जाता कि माज़ी से जुड़े ख़त क्या करूँ। मैं दिखावा कर नहीं सकता हूँ दुनिया की तरह मन में ही इज्ज़त नहीं तो झूठी इज्ज़त क्या करूँ। प्यार को क्यों बेच दूँ फिर हुस्न के बाज़ार में लोग चाहे कुछ करें पर मैं सियासत क्या करूँ। ( लेखक बलजीत सिंह बेनाम - हिसार हरियाणा )

सावधान चीन...भारत अब चरखा नहीं चलाता.. :- लेखक अमित पाठक

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मैट्रो मत न्यूज  ( अमित पाठक बहराइच ) अगर चीन 1962 को यादकर खुश है तो अपनी ही चीनी से मुँह मीठा कर, चीनी सरकार के मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' द्वारा भारत को कभी युद्ध की धमकी दे रहा है तो कभी 1962 जैसा परिणाम भुगतने की चेतावनी ...पहले बता दे आपको कि जहां तक 1962 में हारने की बात है तो यह राजनीतिक पराजय थी, न कि सैन्य हार. भारत पंचशील के स्वर्णिम स्वप्न में खोकर जब हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे में खोया हुआ था, तभी बासठ की लड़ाई चीन द्वारा विश्वासघात के रूप में भारत को प्राप्त हुई. पहले चीन 1962 के आगे के इतिहास को भी याद रखना सीखे , 1967 और 2017 को भी प्रकाशित करने की क्षमता रखे क्योंकि मीडिया हिंदुस्तान में भी है। चीन के जगजाहिर कृत्यों को खोदकर खंगाल करने की कूबत रखती है । कश्मीर मुद्दा था परिणाम भी देखा चीन ने, अब पेंगांग झील के उत्तरी किनारे फिंगर फोर और गलवान वैली में गश्त 14, 15 व 17 - ए महीनों से मुद्दा ही बन रहा है, तो सावधान चीन.. ये बासठ का युग नही, युग बदला बदला हिंदुस्तान.. अब अग्नि सीरीज चलेगी भभकते हुए अग्निकुंड से गोलों की बरसात होगी जिसमें भस्म होने का किसी को अहसास तक

"आओ गुनगुना ले गीत" पर एक कवि सम्मेलन "भारत की माटी" शीर्षक को लेकर हुआ कार्यक्रम सम्पन्न..

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) व्हाट्स एप ग्रुप' पर 'आओ गुनगुना लें गीत' पर एक कवि सम्मेलन "भारत की माटी" शीर्षक को लेकर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । सम्मेलन में कईं राज्यों के प्रतिष्ठित कवियों ने राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत कविताएं पढकर देश के नागरिकों को जागरूक करने का काम किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरिद्वार निवासी प्रसिद्ध छन्द शिल्पी बृजेन्द्र हर्ष ने की। सुप्रसिद्ध गीतकार डा०जयसिंह आर्य ने अध्यक्ष, मुख्य अतिथि डा०कृष्णकुमार नाज़-मुरादाबाद, विशिष्ट अतिथि डा०चैतन्य चेतन-बरेली, विनय विक्रम सिंह-नोएडा, संचालक संजय जैन-दिल्ली और देश के कोने-कोने से सम्मिलित काव्य मनीषियों का काव्यमय स्वागत किया। सम्मेलन पूनम रजा-हरिद्वार द्वारा सुमधुर गायन में प्रस्तुत सरस्वती वन्दना के साथ प्रारम्भ हुआ। अध्यक्ष बृजेन्द्र हर्ष ने अपनी रचना के माध्यम से कहा- "महका रही वतन को खुशबू से रात-दिन, चन्दन से कम नहीं है इस देश की माटी ।।" स्वागताध्यक्ष डा०जयसिंह आर्य ने देश-प्रेम के लिए सबका आह्वान करते हुए कहा- "आज तिरंगे को सबसे ऊंचा फहराएं हम। आओ भैया इस माटी का तिलक लगा

कोरोना से जंग में वृक्ष आपके संग... लेखक अमित पाठक

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मैट्रो मत न्यूज ( लेखक अमित पाठक बहराइच ) वैश्विक महामारी के दिनों में आज विश्व पर्यावरण का दिन अहम है , आज ही के दिन यानी 5 जून को इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी और 5 जून 1974 को पहला संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया । अब किताबी बाते छोड़कर बात करते है मानव जन जीवन की, जो एक हद तक प्रभावित है, एक ऐसी अबूझ पहेली है जिसका रंगमंच पर किरदारों द्वारा चित्रण प्रस्तुत किया गया और होता रहता है, रोजमर्या की जिंदगी में पौधरोपण का समय नहीं, दिनचर्या में आलस्य कुंडली मारकर बैठ गया अब योगाभ्यास भी सम्भव नहीं...प्रदूषण और दूषित वातावरण की चर्चा हाफ कटिंग चाय के साथ कर सकते है पर एक पौधा लगाने की सोंच को अंतर्मन में स्थान देना शायद सम्भव नहीं , इन्हीं मानसिकताओं और महत्वाकांक्षाओ की दौड़ में सबसे आगे मानव प्रकृति को भी चुनौती दे बैठा परिणाम ....आज कोरोना से बचने का रास्ता ढूंढ रहा है, बना बनाया रास्ता था जिस पर कभी चले नहीं जब बाज़ी हाथ से निकल गयी तो ...बाजार में पंचतुलसी और गिलोय

स्वयं प्रश्न सा बन समर में खड़ा "अकेले लड़ा है अकेले अड़ा" अभिमन्यु :- लेखक विनय विक्रम सिंह "मनकहि"

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🌹🌸 अभिमन्यु 🌸🌹 -लेखक विनय विक्रम सिंह # मनकहि- मैट्रो मत न्यूज  ( चेतन शर्मा दिल्ली ) स्वयं प्रश्न सा बन समर में खड़ा। अकेले लड़ा है अकेले अड़ा।। झुकी गर्दनें व्योम की थल तलक, बुझे स्वर झुकाएँ सदी की पलक। मगर हाथ अंधड़ लिये रक्त के, रणांगण में अभिमन्यु खुद से लड़ा। स्वयं प्रश्न सा बन समर में खड़ा। अकेले लड़ा है अकेले अड़ा।१। ये मन दावानल स्वार्थ का द्वेष का, वितस्ता सा प्रसृत घृणित भेष का, भँवर देह के लालसा के बना, लिये प्रेत अनगिन विभुक्षित नड़ा, स्वयं प्रश्न सा बन समर में खड़ा। अकेले लड़ा है अकेले अड़ा।२। तनी देह रज्जु करे हस्तगत, भरे काम कंचन विक्षोभित स्वगत, विजय माल आकण्ठ नश्वर सजा, भुवन मोहिता वीर मण्डित बड़ा, स्वयं प्रश्न सा बन समर में खड़ा। अकेले लड़ा है अकेले अड़ा।३। भरा भस्म से है तुला रिक्त है, लौकिक क्षुधा दृश्य अति तिक्त है, गहे शस्त्र सम्बन्ध को काटने, मगर संशयी वर्तुलों में पड़ा, स्वयं प्रश्न सा बन समर में खड़ा। अकेले लड़ा है अकेले अड़ा।४।