"सोसाइटी फॉर एंपावरमेंट" द्वारा संचालित मासिक पत्रिका "प्रारंभ" का जनहित में दिखा योगदान
मेट्रो मत न्यूज़ ( चेतन शर्मा दिल्ली ) नई दिल्ली। "सोसाइटी फॉर एंपावरमेंट" द्वारा संचालित मासिक पत्रिका "प्रारंभ" से जहां बुजुर्गों को रोजगार की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है वहीं लगभग हर वर्ग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस मासिक पत्रिका " प्रारंभ" में सभी के लिए कुछ न कुछ उपलब्ध है। एनएन पांडेय भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। वे झारखंड के छठे निर्वाचन आयुक्त थे।
एन एन पांडे सोसाइटी फॉर एंपावरमेंट द्वारा संचालित "प्रारंभ" मासिक पत्रिका के संपादक हैं। प्रारम्भ मासिक पत्रिका के माध्यम से हमारा उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए रोजगार के अवसरों को उजागर करना, पुनः कौशल विकास और उन्नयन के लिए मूल्यवान संसाधन प्रदान करना और समुदाय की मजबूत भावना को बढ़ावा देना है।डॉ. कविता ए. शर्मा अपने अध्यापन, प्रकाशनों और जिन संस्थानों से वे जुड़ी हैं, उनके माध्यम से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय योगदान देती रही हैं। डॉ. कविता शर्मा ने 1971 में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में अध्यापन शुरू किया और 1998 में इसकी प्रिंसिपल बनीं और 2008 तक वहीं रहीं। वे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली की निदेशक भी रहीं। डॉ. सचिंद्र नारायण एक शांति किसान और अग्रणी मानवविज्ञानी हैं। वर्तमान में वे सोसाइटी फॉर एम्पावरमेंट के अध्यक्ष हैं।प्रोफेसर एस. नारायण राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली के विशेष प्रतिवेदक हैं। वे भारत सरकार के राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान, बिहार सरकार के पंचायती राज पर टास्क फोर्स, मनरेगा, ग्रामीण विकास, भारत सरकार के सदस्य थे। वे ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान, पटना बिहार (भारत) में मानव विज्ञान और समाजशास्त्र के पूर्व वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। प्रारंभ' पत्रिका के ताजे अंक में समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के वीरों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों के वर्तमान सामाजिक-आर्थिक संघर्षों तक के विषय शामिल हैं। मातंगिनी हाज़रा: स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना - कविता ए शर्मा। यह लेख मातंगिनी हाज़रा की अद्वितीय वीरता और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को समर्पित है। मातंगिनी हाज़रा, जिनका नाम आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीर महिलाओं में लिया जाता है, ने अपने साहस और दृढ़ निश्चय से ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज़ उठाई। महात्मा गांधी और भारत छोड़ो आंदोलन - डॉ. परमीत काजल और डॉ. चंद्रकांत एस. पंडव। यह लेख भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक भारत छोड़ो आंदोलन पर केंद्रित है।