आओ जाने एक नीम के छोटे पौधे की व्यथा

मेट्रो मत न्यूज़  लेखिका डॉ कामिनी वर्मा :- हम छोटे नीम के पौधे बोल रहे हैं कृपया हमारी व्यथा कथा सुने हम चाहते हैं की पार्को में अधिक से अधिक लोग आएं और हमें बढ़ता हुआ देखें और हमें बड़ा करने के लिए प्रयास करें ताकि भविष्य में बड़े होकर हम भी लोगों को रोगमुक्त करने के लिए अपने औषधीय गुणों से युक्त पत्तों छालों एवं टहनियों को न्योछावर कर सकें पर अब हमें अपने तथाकथित रक्षकों से भय लगने लगा है क्योंकि

 बड़े बुजुर्ग जिन्हें लोग सीजंड बोलते हैं ऐसे लोग सुबह आते ही पहला काम हमारे कोमल पत्तों को तोड़कर खाने का करते हैं जिससे हमारी प्रगति एवं विकास रुक जा रहा है, यह भी बहुत बड़ी विडंबना है कि जब वह हमारे पत्ते तोड़ रहे होते हैं तो आसपास से गुजर रहे पार्क में घूमने वाले बच्चे बूढ़े युवा महिलाएं सभी आंखें बचाकर निकल जाते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं, क्या हम लोगों को प्राणवायु एवं औषधियां देने वाले छोटे पौधों को बड़ा होने दिया जाएगा क्या हमारे पालक ' बागवानी अधिकारी ' एवं पार्को में आने वाले लोग हमें बच्चे की तरह नहीं पालेंगे क्या हमें बड़े होने का अधिकार नहीं है क्या हमें ऐसे ही लोगों द्वारा मार दिया जाना चाहिए क्या बड़े नीम के पेड़ों से लोग पत्तियां नहीं तोड़ सकते हैं क्या पार्क में आने वाले सज्जन लोग मुझे बचाएंगे और ऐसे पर्यावरण कि दुश्मनों को हमें क्षति पहुंचाने से रोकेंगे।

कृपया हमें बताएं नहीं तो आपको बड़े  होकर प्राणवायु और औषधियां कैसे दे पाएंगे।

हम भी चाहते हैं बड़े होकर लोगों को लाभ दे चिड़ियों का घोंसला हमारी डालों पर हो, पथिक हमारी छाया में विश्राम करें बहुत सारी ऑक्सीजन लोगों को जीवन बचाने के लिए देंने लायक बने, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में हम भी सहयोग कर सकें इस धरती माता का श्रृंगार करने का हमें भी अवसर मिले।

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