मनुष्य का चरमोत्कर्ष लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति :- डा महावीर अग्रवाल

मेट्रो मत न्यूज़ संवाददाता चेतन शर्मा :- गाजियाबाद जिला आर्य प्रतिनिधि सभा एवं आर्य केन्द्रीय सभा के संयुक्त तत्वावधान में आध्यात्मिक सम्मेलन का शुभारंभ आर्ष गुरुकुल नोएडा के प्राचार्य डॉ.जयेन्द्र आचार्य के ब्रह्मत्व  महायज्ञ से हुआ।
आज के मुख्य यज्ञमान श्रीमती शिल्पा गर्ग एवं सुभाष गर्ग रहे।वेदपाठ आर्ष गुरुकुल नोएडा ब्रह्मचारियों एवं आर्ष कन्या गुरुकुल सौरखा की ब्रह्मचार्णियों द्वारा किया गया।आचार्य जी ने यज्ञोप्रांत यज्ञमानों को आशीर्वाद प्रदान किया तथा उनके सुखद जीवन की प्रभु से प्रार्थना की। सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पंडित कुलदीप आर्य मेरठ के आधुनिक साजबाज पर ईश्वर भक्ति के गीतों "ईश्वर का गुणगान किया कर कष्ट और क्लेश मिटाने को,जीवन की यह नाव मिली है,भवसागर तर जाने को" आदि अनेकों गीतों को सुनकर श्रोता झूम उठे। डा महावीर अग्रवाल (पूर्व कुलपति गुरुकुल कांगड़ी) ने कहा कि वैदिक परम्परा में आध्यात्मिक सम्मेलन होते आए हैं जिसमे परा और अपरा विद्या को जानकर मानव को परमात्मा के विषय का पता लगता है।मनुष्य का चरमोत्कर्ष लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेय मार्ग पर चलना होना चाहिए,वेदों के पावन ज्ञान के विभिन्न विषयों को जीवनोपयोगी आत्म दर्शन,चिंतन द्वारा परमात्म तत्व को वरण करने वाले को प्रभु कृपा प्राप्त होती है।परमात्मा की दया तो प्राणी मात्र पर है।
उसकी कृपा का पैमाना यह है जो व्यक्ति जितना जितना लोगों पर उपकार करता है उतनी उतनी प्रभु की कृपा उस पर होती है। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश ने कहा कि संसार में तीन तत्व ईश्वर,जीव और प्रकृति सदा से थे,हैं और रहेंगे।प्रकृति से हम अपनी जरूरतों के साधन प्राप्त कर सकते हैं,ईश्वर को नहीं।पशु और मनुष्य में एक बात अलग है वह है धर्म जिससे मनुष्य मोक्ष को प्राप्त करता है।पतंजलि के अष्टांग योग को अपनाकर परमात्मा का साक्षात्कार संभव है।उन्होंने मनसा वाचा कर्मणा व्यवहार करने पर बल दिया।स्वागताध्यक्ष माया प्रकाश त्यागी ने कठोपनिषद के वचन को बोलते हुए कहा कि ए दुनियां के लोगों उठो,जागो और सक्रिय रहकर आलस्य को छोड़कर लक्ष्य को प्राप्त करो।जैसे कन्या अपने पति का वरण करती है वैसे अपने आराध्य परमात्मा का वरण करते हैं।जो इसका रचनाकार और संघारक है,अपने भीतर ही मिलेगा।स्वयं के साथ साथ परमात्मा को मानने से पहले उसे जानना आवश्यक है तभी उसका सक्षाकार सम्भव होगा। राजेन्द्र सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि विद्वानों ने यहां जो उद्बोधन दिए हैं उसे आत्मसात करें। मंच का कुशल संचालन कृष्ण देव आर्य ने किया।इस अवसर पर  मुख्य रूप से सर्वश्री राजेश सेठी,अशोक सुधाकर,आचार्य प्रेम पाल, आचार्या सोनिया आर्या,नरेश त्यागी,चमन सिंह,रवि दत्त शास्त्री,रजनीश त्यागी,प्रवीन शर्मा,श्रद्धानंद शर्मा,प्रमोद चौधरी,सेवा राम त्यागी,प्रवीण आर्य,डा प्रमोद सक्सेना,अरविन्द त्यागी,सुभाष शर्मा, सुशील भाटिया,सत्यपाल आर्य आदि मौजूद रहे।

शांतिपाठ एवं प्रीतिभोज के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।


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