इस बार पुरुषोत्तम महीना सावन में है इसलिए इस बार पड़ेगे दो सावन :- राजयोगी बीके मणिकेष

Metro Mat News :-  पौराणिक मान्यताओं एवं ग्रह नक्षत्रों का दिनमान घटने बढ़ने से तिथियों की स्थिति अनुसार संतुलन बनाए रखने हेतु ! हर एक 3 वर्ष में एक बार चक्र की तरह घूमता है ! पुरुषोत्तम मास   जिसको हम संगम माह अथवा अधिक मास भी कह सकते हैं ! अत; यह अधिक मास वर्ष के 12 महीनों में किसी एक माह में आता है ! संपूर्ण पुण्य काल का महीना माना जाता है तथा वह महीना उस वर्ष डबल हो जाता है ! इस बार पुरुषोत्तम महीना सावन में है इसलिए इस बार दो सावन पड़ेगे ! 

इस माह में पूरे वर्ष में होने वाले सभी व्रत -नियम, तीज- त्योहार दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं क्यों कि यह बड़ा पुनीत महीना    माना जाता है l जिसके बारे में आपने वेद पुराणों में व अपने पूर्वजों के बीच खूब पढ़ा सुना भी होगा ! इसी तरह हर युग की समाप्ति एवं दूसरे युग के प्रारंभिक काल  व समय को संगम-युग कहते हैं जैसे ....

1- सतयुग का अंत और त्रेता युग आगमन के बीच का समय


2- त्रेतायुग अंत और द्वापर युग आगमन के बीच का समय...


3- द्वापर युग का अंत कलयुग के आगमन के बीच का समय संगम-युग कहलाता है l

जिनका मानव जीवन में इतना महत्त्व नहीं है क्योंकि यह सभी संगम युग घटती कला के साक्षी होते हैं l सतयुग में 16 कला थी जो अब कलयुग मैं आते -आते सभी कलाए खत्म हो जाती है! लेकिन कलयुग के अंतिम और सतयुग के आगमन मैं बीच के समय को संगम युग के साथ - साथ पुरुषोत्तम युग भी कहते हैं क्यों कि मानव जीवन में इसका  बहुत ज्यादा महत्व है l इस युग में मनुष्य से उत्तम पुरुष (देवता)  बनने के लिए पुरुषार्थ करने की बहुत आवश्यकता होती है क्यों कि कलयुग की जीरो कलाऔ से सतयुग की 16 कलाएं प्राप्त करने के लिए पवित्र पुरुषार्थ किया जाता है l व उत्तम पुरुष बनने के सभी सद प्रयोग किए जाने चाहिए  क्योंकि सतयुग में फिर से 16 कलाएं हो जाएंगी सभी तथाकथित धर्म संप्रदाय जो आज पनपे हुए हैं l नष्ट हो जाएंगे l अथवा एक ही अनादि सत्य सनातन धर्म होगा एक ही परमपिता परमात्मा होगा l 

आए पुरुषोत्तम मास की तरह पुरुषोत्तम युग (संगमयुग) का भी अच्छे से लाभ उठाएं! 

राजयोगी बीके मणिकेष

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