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'होलिस्टिक मेडिसिन रिसर्च फाउंडेशन' का पारंपरिक चिकित्सा कार्यकर्म सम्पन

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Metro Mat News ( Chetan Sharma Delhi ) 'होलिस्टिक मेडिसिन रिसर्च फाउंडेशन' हैदराबाद ने दिल्ली डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेटर में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम  आयोजित किया। एचएमआरएफ ने पारंपरिक चिकित्सा पर तीसरी विश्व कांग्रेस शुरू की है और इसे प्रोफेसर (डॉ.) दीपक राउत, महानिदेशक, होलिस्टिक मेडिसिन रिसर्च फाउंडेशन, तेलंगाना, भारत के नेतृत्व में "अधिकतम पारंपरिक चिकित्सा विषयों की वैश्विक बैठक/सम्मेलन" के रूप में एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में पंजीकृत किया गया। आयोजक ने विश्व स्तर पर भाग लेने वाले अधिकतम पारंपरिक चिकित्सा विषयों के साथ सम्मेलन के आयोजन का रिकॉर्ड बनाया। आयुर्वेद, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, रेकी, एक्यूपंक्चर, कायरोप्रैक्टिक, इरिडोलॉजी सहित कई पारंपरिक चिकित्सा अनुशासन विशेषज्ञ, और एक्यूप्रेशर आदि 30 से अधिक प्रणालियों ने पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक मंच बनाने के लिए वर्तमान वैज्ञानिक सत्र, कार्यशाला, स्वास्थ्य शिविर, जागरूकता वॉकथॉन, वृक्षारोपण, दीक्षांत समारोह, महिला सशक्तिकरण, प्रदर्शनी, ध्यान, समूह पैनल चर्चा और पुरस्कार और मान्यता समारोह को सफलतापूर्वक

इस बार पुरुषोत्तम महीना सावन में है इसलिए इस बार पड़ेगे दो सावन :- राजयोगी बीके मणिकेष

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Metro Mat News :-  पौराणिक मान्यताओं एवं ग्रह नक्षत्रों का दिनमान घटने बढ़ने से तिथियों की स्थिति अनुसार संतुलन बनाए रखने हेतु ! हर एक 3 वर्ष में एक बार चक्र की तरह घूमता है ! पुरुषोत्तम मास   जिसको हम संगम माह अथवा अधिक मास भी कह सकते हैं ! अत; यह अधिक मास वर्ष के 12 महीनों में किसी एक माह में आता है ! संपूर्ण पुण्य काल का महीना माना जाता है तथा वह महीना उस वर्ष डबल हो जाता है ! इस बार पुरुषोत्तम महीना सावन में है इसलिए इस बार दो सावन पड़ेगे !  इस माह में पूरे वर्ष में होने वाले सभी व्रत -नियम, तीज- त्योहार दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं क्यों कि यह बड़ा पुनीत महीना    माना जाता है l जिसके बारे में आपने वेद पुराणों में व अपने पूर्वजों के बीच खूब पढ़ा सुना भी होगा ! इसी तरह हर युग की समाप्ति एवं दूसरे युग के प्रारंभिक काल  व समय को संगम-युग कहते हैं जैसे .... 1- सतयुग का अंत और त्रेता युग आगमन के बीच का समय 2- त्रेतायुग अंत और द्वापर युग आगमन के बीच का समय... 3- द्वापर युग का अंत कलयुग के आगमन के बीच का समय संगम-युग कहलाता है l जिनका मानव जीवन में इतना महत्त्व नहीं है क्योंकि यह सभी स