नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक, विचारक, लेखक और हिंदीसेवी :- डॉ. वेद प्रताप वैदिक
मेट्रो मत दिल्ली :- 14 मार्च, मंगलवार सुबह एक अत्यंत दुःखद समाचार मिला कि वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक, विचारक, लेखक और हिंदीसेवी डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी अब नहीं रहे; तो आंख कानों से देख-सुन कर भी यकीन ही नहीं हुआ, क्योंकि उनके (वैदिकजी) अंतिम सांस लेने से सिर्फ 40 घंटे पहले ही रविवार, 12 मार्च को नई दिल्ली स्थित एन.डी.एम.सी. कनवेशन सेंटर में आयोजित एक समारोह में उनसे आशीर्वाद स्वरुप मेरी आखिरी मुलाकात हुई थी।
मुझ समेत मेरे सभी बड़े भाई भी प्यार और अदब से आदरणीय वैदिकजी को "चाचाजी" कहकर संबोधित किया करता हैं, क्योंकि वे मेरे पिताजी व वरिष्ठ पत्रकार लेखक पंडित हरिदत्त शर्मा के सहयोगी और मित्र थे। 70 के दशक में मेरे पिताजी पंडित हरिदत्त शर्मा और आदरणीय चाचाजी (डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी) दोनों टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप के हिंदी राष्ट्रीय दैनिक *"नवभारत टाइम्स"* के सह संपादक रहे। 12 मार्च 2023 को "नेशनल एक्सप्रेस" समाचार पत्र द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह में सेवानिवृत्त आई.आर.एस., सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक, लेखक और समाजसेवी डॉ. आर. के. पालीवाल जी को एक लाख रुपए की धनराशि के प्रथम 'राष्ट्रपिता बापू सम्मान' से सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर गांधीजी के सिद्धांतों और विचारों को प्रचारित प्रसारित कार्यान्वित और क्रियान्वित करने वाले विभिन्न क्षेत्रों के नौ विशिष्ट महानुभावों को भी सम्मानित किया गया था। पूज्य चाचाजी (वैदिकजी) इस समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे और मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री श्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' जी थे।इस सम्मान समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में चाचाजी (वैदिकजी) ने गांधीवादी विचारधारा पर तो प्रकाश डाला ही इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि मुझे न केवल देश के हजारों सम्मान समारोहों में बल्कि विदेशों में भी कई सेमिनारों और सम्मान समारोह में भी शामिल होने का मौका मिला है, लेकिन यह कार्यक्रम अपने आप में अनोखा और अलग है क्योंकि न केवल पुरस्कृत श्री आर.के. पालीवाल जी ने प्राप्त पुरस्कार राशि ₹ एक लाख में अपनी पेंशन से एक लाख रुपए और मिलाकर किसी गांधीवादी संस्था को दान में देने की बात कही है बल्कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और यूपी के वरिष्ठ और लोकप्रिय नेता श्री नंद गोपाल 'नंदी' जी ने भी अपने वेतन से एक लाख रुपए किसी गांधीवादी समाजसेवी संस्था को दान देने की घोषणा की है। डॉ. वैदिक (चाचाजी) ने आगे कहा कि सभी लोग बखूबी जानते हैं कि नेता लोग सिर्फ *'लेवाल'* होते हैं। मैंने अपनी 80 साल की जिंदगी में ऐसा पहला मंत्री व नेता देखा है जो *'देवाल'* हैं और जो अपनी ओर से ₹ एक लाख का दान कर रहा है, आज तो मानो उल्टी गंगा बह रही है। आदरणीय वैदिकजी की इस बेबाक विचार अभिव्यक्ति से पूरा सभागार हर्ष और करतल ध्वनि से गूंज उठा। करीब 80 साल की उम्र होने के बावजूद भी चाचाजी (डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी) बेहद जागरूक, सक्रिय और स्वस्थ थे। इस समारोह में आपने 4 घंटे से अधिक तक सक्रिय भूमिका निभाई। यूं तो करीब पिछले 25 - 30 सालों से श्रीवैदिकजी (चाचाजी) मेरी ईमेल और बाद में व्हाट्सएप पर भी प्रायः रोज ही विविध नयें विषयों पर अपने विचारोत्तेजक लेखों से मुझे लाभान्वित कराते रहे थे। इसके अलावा भी दिल्ली एन.सी.आर. या देश भर में आयोजित होने वाले अनेक समारोह में उनके दर्शन और भेंट का सौभाग्य भी मुझे मिलता रहा। मेरे तो वे गुरु, प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक थे। मैं भी उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेने उनके नयी दिल्ली के साउथ एक्स. के दफ्तर में भी अक्सर आया जाया करता था। अपने अन्य दूसरे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को स्थगित करके भी श्रीवैदिकजी (चाचाजी) हमारे हरेक पारिवारिक कार्यक्रमों में परिवार के वरिष्ठ सदस्य के रूप में शामिल होकर अपना आशीर्वाद अवश्य प्रदान करते थे आदरणीय चाचाजी (वैदिकजी) मेरे पिताजी की याद में गठित *"पंडित हरिदत्त शर्मा फाउंडेशन"* के संरक्षक और परामर्श परिषद के अध्यक्ष भी थे। आप सदैव हमारे समस्त परिवार का और पिताजी की स्मृति में बनी फाउंडेशन का भी मार्गदर्शन और संरक्षण करते रहे। कभी भी कहीं भी मुलाकात हो वे हमारी माताजी (श्रीमती चित्रा शर्मा जी) की कुशल क्षेम भी अवश्य पूछते थे और कहते थे कि 'हमारी भाभीजी कैसी हैं? बेटा उनकी खूब अच्छी तरह से देखभाल और सेवा करना, न सिर्फ परिवार को एकजुट बनाए रखने में बल्कि भाई हरिदत्त जी को पंडित हरिदत्त शर्मा बनाने में भी उनका बहुत बड़ा योगदान है।' एक सम्मान समारोह में बोलते हुए परम आदरणीय चाचाजी (वैदिकजी) ने कहा था कि मैं हरिदत्त जी को पत्रकारिता लेखन ज्ञान और आयुवय: में वरिष्ठ होने के कारण न केवल अपना बड़ा भाई मानता था, बल्कि अपने श्वसुर श्री ........ गुप्ता जी (गुप्ता प्रकाशन) के मित्र होने के नाते पिता तुल्य रूप में भी उनका सम्मान करता था।
अंतिम सांस लेने से मात्र 40 घंटे पूर्व उनके दर्शन और भेंटवार्ता मेरे लियें उनका आशीर्वाद स्वरूप ही है। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने मेरे पिताजी के साथ अपने कई संस्मरणों और कुछ वर्ष पूर्व दूरदर्शन पर मेरे पिताजी पंडित हरिदत्त शर्मा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म में प्रसिद्ध कश्मीरी कवियित्री डॉ. पद्मा सचदेव जी और अपने (वैदिकजी के) मध्य हुई परिचर्चा को भी याद किया। प्रभुचरणों में प्रार्थना है कि वे परम आदरणीय डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी (पूज्य चाचाजी) की दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। उनकी पुण्य स्मृति को शत-शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।
- मनोज शर्मा :- चार दिशाएं प्रकाशन