गुजरते दौर का दर्पण है "समय" :- लेखिका डॉ कामिनी वर्मा
मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पांडे दिल्ली )
*रहिमन चुप ह्वे बैठिए, देखि दिनन के फेर ।*
*जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहे देर।।*
उक्त के अनुसार परिवर्तनशील समय में अच्छे बुरे दोनों प्रकार के दिन जीवन में आते हैं। जब समय अनुकूल होता है तो कार्य सरलता से सम्पन्न हो जाता है। इसी भाव को अन्यत्र इस प्रकार व्यक्त किया गया है-
*का रहीम नर को बड़ो, समय बड़ा बलवान*
अर्थात समय बहुत शक्तिशाली है। इसे राजा को फकीर और फकीर को राजा बनाने में जरा भी समय नहीं लगता ।कई बार यह व्यक्ति के साथ इतना क्रूर मजाक कर बैठता है कि वह असमय काल के गाल में समा जाता है। और यह निष्ठुर, निर्दयी बन कर देखता रहता है। राम का राज्याभिषेक होने जा रहा था, समय ने ऐसा खेल खेला कि उनका वनवास हो गया। राजा दशरथ का प्राणांत तथा जो सीता महारानी बनने वाली थी, उनका हरण, अग्निपरीक्षा तत्पश्चात सदैव के लिए देश निकाला हो गया। समय बेरहम मौन रहा। इसीलिए इसे काल- विदूषक की संज्ञा से भी अभिहित किया जाता है।
लेखिका :- डॉ कामिनी वर्मा ( एसोसिएट प्रोफेसर )
काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर भदोही उ. प्र.