श्रीगणेश का अर्थ है ईश्वर का आशीर्वाद लेना :- आर्य रविदेव गुप्ता

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) गाजियाबाद केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "वेदों में गणेश की चर्चा" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस गोष्ठी में मुख्य वक्ता आर्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि वेदों में गणेश नहीं अपितु गणपति शब्द की चर्चा है, ऋग्वेद में 2 बार व यजुर्वेद में 4 बार प्रयोग हुआ है।गण का अर्थ है जड़ पदार्थों अथवा चेतन प्राणियों के समूह का स्वामी या पालक। स्वामी ही पति कहलाता है अतः गणपति ही गणेश है।पुराणों में वर्णित गजानंद स्वरूप अवैज्ञानिक,काल्पनिक व हास्यास्पद है।किसी कार्य को शुरू करने से पहले आओ "श्री गणेश" करें का अभिप्राय यही है कि ईश्वर का स्मरण व कार्य को निर्विघ्न करने की प्रार्थना है,यही गणेश का सच्चा व वैदिक स्वरूप है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वेदों में किसी व्यक्ति विशेष की कोई चर्चा नहीं है यह सृष्टि का आदि ज्ञान है। मुख्य अतिथि आर्य नेता वीरेन्द्र आहूजा ने निर्धन वर्ग के लिए कंप्यूटर सेन्टर,महिला सिलाई केंद्र आदि आर्य समाज मंदिरों में खोलने का सुझाव दिया।अध्यक्ष राजेश मेंहदीरत्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य ने वेदों की शिक्षाओं को आत्मसात करने का आह्वान किया। गायिका शकुंतला नागिया,अजय कपूर,पुष्पा चुघ,सुखवर्षा सरदाना, दीप्ति सपरा,प्रवीना ठक्कर,रवीन्द्र गुप्ता,मधु बेदी, सुदेश डोगरा,सुदेश आर्या,राज कुमार भंड़ारी आदि ने भजन प्रस्तुत किये। आचार्य महेन्द्र भाई, देवेन्द्र भगत, सौरभ गुप्ता,डॉ रचना चावला, सुरेंद्र शास्त्री,गजेन्द्र चौहान,ओम सपरा,सुषमा बजाज,अनिता रेलन आदि उपस्थित थे।

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