हिन्दू पर्वो में बढ़ता प्रशासनिक हस्तक्षेप चिन्ताजनक :- अनिल आर्य

मैट्रो मत न्यूज संवाददाता गजियाबाद :- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "होली का वैदिक स्वरूप" विषय पर आर्य गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन ज़ूम पर किया गया।

वैदिक विदुषी दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा यज्ञीय परंपरा को बनाये रखने से ही हो सकती है,इसके लिए नयी पीढ़ी को इसका महत्व व विधि समझानी होगी।वैदिक युग में होली को 'नवान्नेष्टि यज्ञ' कहा गया था,क्योंकि इस समय खेतों में पका हुआ अनाज काटकर घरों में लाया जाता है।जलती होली में जौ और गेहूं की बालियां तथा चने के बूटे भूनकर प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं।होली की अग्नि में भी बालियां होम की जाती हैं।उन्होंने कहा कि यदि हमें अपनी संस्कृति की रक्षा करनी है तो बच्चों को यज्ञ से जोड़ने का कार्य करना होगा। यज्ञ परोपकार की भावना व मानव कल्याण को बढ़ाता है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज हिन्दू पर्वो में बढ़ता प्रशासनिक हस्तक्षेप चिंता का विषय है जब हैदराबाद,बंगाल और असम आदि में चुनावी रैलियों होती हैं तब तो कोरोना कुछ नहीं कहता।भारतीय पर्व उत्साह,हंसी खुशी व समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं।होली उत्सव यज्ञ का प्रतीक है।स्वयं से पहले जड़ और चेतन देवों को आहुति देने का पर्व हैं।इसके वास्तविक स्वरुप को समझ कर इस सांस्कृतिक त्योहार को मनायें। होलिका दहन रूपी यज्ञ में यज्ञ परम्परा का पालन करते हुए शुद्ध सामग्री,तिल,मुंग,जड़ी बूटी आदि का प्रयोग करें इससे वातावरण भी शुद्ध होगा व रोग दूर रहेंगे। मुख्य अतिथि डलहौजी आर्य समाज से मोनिका सहगल ने कहा कि होली का सांस्कृतिक महत्व 'मधु' अर्थात 'मदन' से भी जुड़ा है।संस्कृत और हिन्दी साहित्य में इस मदनोत्सव को वसंत ऋतु का प्रेम-आख्यान माना गया है।वसंत यानी शीत व ग्रीष्म ऋतु की संधि वेला। कार्यक्रम अध्यक्ष आर्य समाज यमुनानगर के मंत्री राकेश ग्रोवर ने कहा कि ऋतुओं के मिलने पर रोग उत्पन्न होते हैं,उनके निवारण के लिए यह यज्ञ किये जाते थे। यह होली हेमन्त और बसन्त ऋतु का योग है।रोग निवारण के लिए यज्ञ ही सर्वोत्तम साधन है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि होली प्राचीनतम वैदिक परम्परा के आधार पर होली को नवान्न वर्ष का प्रतीक माना जाता है।आर्य नेता प्रेम सचदेवा,जीवन लाल आर्य ने आभार व्यक्त किया। गायिका डॉ रचना चावला,विजय हंस,सतीश शास्त्री,प्रेम हंस,संतोष आर्या,सुलोचना देवी,जनक अरोड़ा,रविन्द्र गुप्ता,कुसुम भण्डारी,शिवम ग्रोवर,विक्की आर्य,प्रतिभा कटारिया,चंद्रकांता आर्या,उर्मिला आर्या ,सुनीता बुग्गा आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य महेन्द्र भाई,सौरभ गुप्ता, अतुल सहगल,महेन्द्र नागपाल, उषा मलिक,डॉ कल्पना रस्तोगी, आशा भटनागर आदि उपस्थित थे।

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