गुरूकुलीय शिक्षा प्रणाली को स्वामी श्रद्धानंद ने पुनर्जीवित किया :- अनिल आर्य

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) गाजियाबाद केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद जी का 165 वां जन्मदिन ऑनलाइन जूम पर आयोजित किया गया उल्लेखनीय है कि स्वामी श्रद्धानंद जी का जन्म 22 फरवरी 1856 को जालन्धर के तलवन ग्राम में हुआ था।

इस मौके पर केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद महान स्वतंत्रता सेनानी रहे उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक पर रौलट एक्ट के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और अंग्रेजी सिपाहियों को छाती तान के बोला लो खड़ा हूँ गोली चला लो और उनकी निर्भीकता के आगे सिपाहियों की संगीने झुक गयी। उन्होंने लुप्त होती पुरातत्व गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया और गुरुकुल कांगड़ी की इसके लिए स्थापना की।स्वामी जी ने ही जालंधर में महिला कॉलेज की स्थापना की।अफ्रीका से गुरुकुल कांगड़ी में पधारने पर मिस्टर गांधी को "महात्मा" की उपाधि से सम्मानित किया बाद में वह महात्मा गांधी कहलाये।भारतीय इतिहास में पहली बार दिल्ली की जामा मस्जिद के मेम्बर पर गैर मुस्लिम स्वामी श्रद्धानंद ने वेद मंत्रों के साथ हिन्दू मुस्लिम एकता का संदेश दिया यह सामाजिक समरसता का अनमोल उदाहरण है।दलितों के उत्थान के लिए भी अनेकों विद्यालय खोले और मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया। 1922 में सिखों के "गुरु का बाग" आंदोलन का नेतृत्व किया और गिरफ्तारी दी।आज के संदर्भ में स्वामी श्रद्धानंद जी का जीवन प्रेरणा देने वाला है वह सब कुछ होम कर सही मायनों में समाज के लिए ही जिये,वह महर्षि दयानंद जी के सच्चे अनुगामी स्वाधीनता, स्वदेशी,स्वराज्य,शिक्षा व वैदिक धर्म प्रचारक के लिए समर्पित रहे। आर्य नेता प्रवीण आर्य ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी ने घर वापिसी का अभियान चलाया,जो लोग किन्हीं कारणों से हिन्दू धर्म छोड़ गये थे उनके लिए वापिस हिन्दू धर्म में आने के लिए "शुद्धि आंदोलन" की शुरुआत की।मुख्य अतिथि जितेन्द्र खरबंदा ने स्वामी श्रद्धानंद बलिदान भवन को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग की। कार्यक्रम अध्यक्ष आर्य नेत्री सुदेश आर्या ने उन्हें नारी उद्धारक बताया।योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने युवाओं से उनके गुणों को आत्मसात करने का आह्वान किया। युवा गायक अंकित उपाध्याय ने ओजपूर्ण गीतों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की,साथ ही गायिका संगीता आर्या,नरेंद्र आर्य सुमन, दीप्ति सपरा,किरण सहगल, संध्या पाण्डे,रवीन्द्र गुप्ता आदि ने गीत प्रस्तुत किये। आचार्य महेन्द्र भाई, के. के.यादव, आनन्द प्रकाश आर्य,वीना वोहरा, जनक अरोड़ा,सुरेंद्र बुद्धिराजा, ईश आर्य,कुसुम भंडारी,देवेन्द्र भगत आदि उपस्थित थे।

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