अराजकतत्वों ने लाभार्थियों के मुँह का छीना निवाला "घी और दूध लूट लिया मिलके गाँव वालों ने, मुख्य सेविका ने मौके पर पहुँचकर कार्यकत्री को बचाया"

मैट्रो मत न्यूज ( अमित पाठक बहराइच ) बिशेश्वरगंज आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व समूह सखी के माध्यम से लाभार्थी महिलाओं व कुपोषित बच्चों के लिए गेंहूँ, चावल, दाल, दूध व घी देने की योजना पर सरकार ने सार्थक पहल की जिससे बच्चे कुपोषित न रहे, गर्भवती महिलाओं में इमन्युटी पावर मजबूत हो तथा सभी पात्रों को समुचित आहार मिल सके परंतु सरकार की इस प्रभावी योजना को  अराजकतत्वों द्वारा आज के नवीन भारत को पूर्ववत रहे गुलाम भारत के दिनों की याद दिला रहे है जिसमे भुखमरी थी और लूटपाट कर पेट पालना एक जरिया था।

जनपद बहराइच अंतर्गत विकासखण्ड बिशेश्वरगंज के आंगनबाड़ी केंद्र बड़ागांव द्वितीय (झलवा) में पात्र लाभार्थियों को मिलने वाली सामग्री दूध व घी को अराजकतत्वों ने जबरदस्ती लूट लिया व उषा देवी आंगनवाड़ी कार्यकत्री को धकेल दिया जिस से उनके सर में चोट लग गई । घटना की सूचना मिलने पर तत्काल मुख्य सेविका शहाना बेगम जो बड़ागांव आंगनबाड़ी केंद्र प्रथम व तृतीय पर दूध व घी का वितरण करवा रही थी, मौके पर पहुँच कर किसी तरह लूटपाट कर रहे अराजकतत्वों से  उषा देवी को बचाया । उषा देवी से अराजकतत्वों के बारे में जानने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन एक ही गाँव में रहने के कारण किसी का नाम नहीं बताया । अब सवाल खड़ा है कि क्या इस प्रभावी योजना को धरातल पर क्रियान्वित कर अराजकतत्वों के हवाले कर दिया गया है क्योंकि गरीब पात्र लाभार्थी तो लूट कर नहीं पाएंगे और मिल रहे लाभ से हमेशा इसी तरह वंचित रहेंगे । आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का एक ही गाँव मे रहकर आवाज़ उठाना या विरोध कर पाना नामुमकिन है जिससे प्रशासन भी कुछ कर पाने में असमर्थ रहेगा और अराजकतत्वों के हौसले इसी तरह बुलन्द रहेंगे । आपको बताते चले कि दूसरी सबसे अहम बात सामने आई है कि पंजीकृत संख्या से सामग्री कम आ रही है जिससे वितरण में भी समस्या उत्पन्न हो रही है ।ये मामला अकेले यही का नहीं है, बंजरिया द्वितीय आंगनबाड़ी केंद्र पर जा कर देखा गया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री गुड़िया चौहान मुख्य सेविका नरमी देवी के साथ अपार भीड़ के बीच घिरी दूध व घी का वितरण कर रही थी जहाँ 7 माह से 3 वर्ष के 60 बच्चो को सामग्री दी गयी जबकि पंजीकृत संख्या 95 है।गर्भवती और धात्री को 56 के सापेक्ष 47 की ही सामग्री आयी जो उन्हें दिया गया ।9 कुपोषित बच्चो के सापेक्ष में 4 की ही सामग्री आयी वहीं 3 से 6 वर्ष में 60 बच्चे है जिनके सापेक्ष में  30 की सामग्री आयी जिसे भीड़ व दबाव के बीच वितरण करते देखा गया । अगर आंगनबाड़ी कार्यकत्री सरकार के अधीनस्थ कार्य करती हुई एक प्रहरी की तरह मुस्तैद एवं सक्रिय है तो शासन प्रशासन को इन्हें सुरक्षित करते हुए अराजककतत्वों से निजात दिलाने हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आने पर क्या कार्यवाही और आगामी रणनीति होगी ये उनका विषय है परंतु नोंच घसोट लूटपाट कर आज के आधुनिक युग में और अतुल्य बन रहे नवीन भारत के लिए जो विश्वगुरु के कगार पर खड़ा है उसके गौरव के लिए कितना सही है जो सोचनीय व चिंताजनक है शायद शर्मसार होकर यह तब तक पूछता रहेगा भारत जब तक आलाकमान अधिकारी इस गम्भीर विषय की व्यवस्था को संज्ञान में लेकर निरंकुश हो चले अराजक कारकों पर अंकुश नहीं लगाते ।

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