वैदिक सिद्धान्तों पर चलकर ही विश्व का कल्याण सम्भव :- आचार्य विजयभूषण आर्य

मैट्रो मत न्यूज :- गाज़ियाबाद केंद्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "वैदिक सिद्धान्त सर्वोपरि" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया। यह परिषद का कोरोना काल में 155 वां वेबिनार था।

वैदिक विद्वान आचार्य विजयभूषण आर्य ने कहा की वैदिक मान्यताएं सर्वोपरि हैं क्योंकि आर्य जन निराकार ईश्वर, कर्म के आधार पर आश्रम व्यवस्था,त्रैतवाद का सिद्धान्त, कर्मफल सिद्धान्त,गणित ज्योतिष आदि मान्यताओं को मानते हैं। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा बताए गए "संस्कार विधि" में वर्णित सोलह संस्कारों से ही मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बन सकता है। आर्ष ग्रंथों के पठन पाठन से ज्ञात होता है कि वैदिक संस्कृति कितनी महान और वैज्ञानिक है। हम सभी को आर्ष ग्रंथों का स्वाध्याय समय समय पर करते रहना चाहिए और समाज मे बढ़ते पाखण्ड अंधविश्वास से बचना चाहिए। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना सत्य और असत्य पर विचार करने के लिए की गई थी,क्या वेदानुकूल है क्या नही है।एक प्रकार से यह सत्य-सनातन-वैदिक-धर्म की पुनर्स्थापना थी।जिसका श्रेय महर्षि दयानन्द सरस्वती को जाता है।इससे वैदिक धर्म व सत्य की रक्षा हुई व संसार के लोगों को सत्याचरण व धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिला।इस लाभ की किसी अन्य मत से कोई साम्यता या बराबरी नहीं हो सकती।महर्षि दयानन्द के आगमन व आर्य समाज की स्थापना होने से धर्म सम्बन्धी विषयों के चिन्तन, विचार, प्रचार, कर्मकाण्ड आदि पर नई सोच ने जन्म लिया। यह विचार करने की व निर्णय लेने की शक्ति ही सच्चा मानव बनाती है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आर्य समाज, वैदिक धर्म का पूरक एवं प्रभाव शाली अंग हैं,इसके बिना वेदों की रक्षा व उनके प्रचार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने महर्षि दयानंद के अनन्य भक्त व शास्त्रार्थ महारथी पंडित रामचन्द्र देहलवी की पुण्यतिथि व आजाद हिन्द फौज के संगठनकर्ता वीर क्रान्तिकारी राज बिहारी बोस की जयंती पर परिषद की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित किये।परिषद के कर्मठ कार्यकर्ता राहुल आर्य के जन्मदिन पर यज्ञ कर शुभकामनाएं दी गई। गायिका दीप्ति सपरा, किरण सहगल,रविन्द्र गुप्ता,प्रवीना ठक्कर,उर्मिला आर्या,ईश्वर देवी आर्या,प्रतिभा कटारिया,जनक अरोड़ा,डॉ अनुराधा आनन्द, सुलोचना देवी,डॉ रचना चावला आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य रूप से आनन्द प्रकाश आर्य,यशोवीर आर्य,योगेंद्र शास्त्री,प्रेम सचदेवा,आर पी सूरी,अमरनाथ बत्रा,राजेश मेहंदीरत्ता आदि उपस्थित थे।

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