"मदभगवद गीता में त्रिमार्ग की अवधारणा" विषय पर गोष्ठी सम्पन्न

मैट्रो मत न्यूज :- गाज़ियाबाद केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "मदभगवद गीता में त्रिमार्ग की अवधारणा" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रो. मनोज तंवर ने कहा की श्रीमद् भगवद गीता के अट्ठारह अध्याय के 700 श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग का विस्तृत मार्गदर्शन  किया है। किसी भी धर्म-ग्रंथ में मार्ग की अवधारणा को इतनी सूक्ष्मता से दर्शाया नहीं गया जैसा कि भगवद गीता के माध्यम से दर्शाया गया है।सांसारिक मनुष्य का अस्तित्व शरीर,मन और बुद्धि से बना है। कर्म-भक्ति-ज्ञान इन तीनों मार्ग की गहन समझ और घनिष्ट दृढ़ता ही मनुष्य में योग की भूमिका का निर्माण करती है। गीता के सन्देश आज भी जीवन की चुनौतियों को सुलझाने में रामबाण है,आज के युग में गीता की महत्ता व प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है हमें उत्तम ग्रंथों का निरन्तर स्वाध्याय करना चाहिए।।केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता निरन्तर कर्म करने का संदेश देती है,धर्म के उपदेश के साथ ही जीवन जीने की कला भी सिखाती है।महाभारत के युद्ध से पूर्व अर्जुन और योगिराज श्रीकृष्ण के बीच का संवाद आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो गीता के उपदेश के रुप में है। गीता के उपदेशों पर चलकर न केवल हम स्वयं का,बल्कि सम्पूर्ण समाज का कल्याण कर सकते हैं। हताश व्यक्ति में कर्म के लिए प्रतिबधता जगाना और उत्साह पैदा करने का कार्य गीता करती है,हे मनुष्य तू निरंतर कर्म कर। केन्द्रीय आर्य युवती परिषद की प्रदेश अध्यक्षा उर्मिला आर्या ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वर्तमान जीवन में उत्पन्न कठिनाईयों से लडऩे के लिए मनुष्य को गीता में बताए ज्ञान की तरह आचरण करना चाहिए। इससे  मनुष्य उन्नति की ओर अग्रसर होंगे। कोरोना वैक्सीन बनने व लगने के सुचारू अभियान के लिए भारतीय वैज्ञानिकों व केन्द्र सरकार को बधाई दी गई। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि मन पर नियंत्रण करना बेहद आवश्यक है। जो व्यक्ति मन पर नियंत्रण नहीं कर पाते,उनका मन उनके लिए शत्रु का कार्य करता है। योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि गीता में भगवान कहते हैं मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे उसके अनुरूप ही फल की प्राप्ति होती है।इसलिए सद्कर्मों को महत्व देना चाहिए। गायिका डॉ रचना चावला,नरेश खन्ना,दीप्ति सपरा,सुदेश आर्या, अरुण आर्य (जम्मू),किरण सहगल,जनक अरोड़ा,रविन्द्र गुप्ता,आशा आर्या,प्रवीना ठक्कर, प्रतिभा कटारिया,ईश्वर देवी आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य रूप से आनन्द प्रकाश आर्य,यशोवीर आर्य,महेंद्र भाई, धर्मपाल आर्य,चन्द्रकान्ता आर्या, उर्मिला आर्या, राजेश मेहंदीरत्ता, वीना वोहरा आदि उपस्थित थे।

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