बेटे ने लिवर दान कर बचाई पिता की जान
मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पांडेय दिल्ली ) होशियारपुर पंजाब के रहने वाले 62 वर्षीय एक किसान, रशपाल सिंह के बेटे ने अपना लिवर दान कर उनकी जान बचाई। जलंधर निवासी मरीज का फोर्टिस अस्पताल, गुरूग्राम में सफलतापूर्वक लिवर ट्रांसप्लान्ट किया गया।
पिछले साल जलंधर के एक स्थानीय अस्पताल में मरीज में लिवर कैंसर का निदान हुआ। लेकिन हाल ही में उसकी तबियत बिगड़ने लगी। उल्टी के साथ खून आने लगा, जिसके बाद उसे फोर्टिस अस्पताल, गुरूग्राम में रेफर किया गया। गहन जांच के बाद पता चला कि मरीज को लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर है, जिसके लिए तुरंत लिवर ट्रांसप्लान्ट सर्जरी करना जरूरी था। ऐसा नहीं करने पर मरीज की जान जा सकती थी। मरीज का बेटा, जो विदेश में रहता है, उसने अपना लिवर दान करने का फैसला किया। लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लान्टेशन (एलडीएलटी) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सर्जरी की मदद से खराब लिवर की जगह पर किसी जीवित व्यक्ति का स्वस्थ लिवर लगा दिया जाता है। एलडीएलटी लिवर के आख़िरी चरणों की सभी बीमारियों के लिए एक प्रसिद्ध इलाज है, जिसमें लिवर कैंसर भी शामिल है।दिल्ली एनसीआर स्थित फोर्टिस अस्पताल के एलटीपी एवं एचबीपी सर्जरी के चेयरमैन, डॉक्टर विवेक विज ने बताया कि, “मरीज को गंभीर स्थिति में भर्ती किया गया था। उसे तुरंत लिवर ट्रांसप्लान्ट की जरूरत थी वर्ना कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता था। मरीज की हालत का सबसे बड़ा कारण शराब का सेवन था, जो वह 30 सालों से करता आ रहा था। लिवर सिरोसिस फाइब्रोसिस का आख़िरी चरण है, जिसमें लिवर लगभग पूरी तरह काम करना बंद कर देता है। भारत में, हर साल लिवर सिरोसिस के लगभग 5% मरीज़ों में लिवर कैंसर का खतरा बनता है। इसलिए लिवर ट्रांसप्लान्ट सर्जरी केवल उन मामलों में सफल होती है, जहां कैंसर लिवर तक ही सीमित होता है और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलना शुरू नहीं हो पाता।