पशु अस्पतालो की हालत दयनीय "झोलाछाप डाक्टरों के हवाले हैं बेजुबान"

"टीकाकरण को लेकर गर्भाथान तक कदम कदम पर चुनौती"

मैट्रो मत न्यूज ( विकास द्विवेदी ) नवाबगंज /बहराइच :- विकास खण्ड नवाबगंज क्षेत्रों में स्थित सरकारी पशु अस्पतालों की हालत दिन प्रतिदिन  दयनीय होती जा रही है। जिसके कारण क्षेत्र मे बेजुबान पशुओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है। विकास खण्ड नवाबगंज के अधिकतर पशु अस्पताल खुलते ही नहीं हैं।

और जो खुलते भी हैं वह भी समय से नहीं खुलते। ऐसी स्थिति में पशुपालकों को बीमार पशुओं का इलाज कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। बीमार पशुओं के इलाज के लिए पशुपालक झोलाछाप डॉक्टरों पर ही निर्भर हैं। जिससे झोलाछाप डॉक्टर पशुपालकों से मोटी रकम तो वसूल करते ही हैं।साथ ही बेजुबान पशुओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पशु विभाग खुद की संवेदनहीनता के चलते जहां इलाज करने में अस्मर्थ हैं। वही पशुओं के जान के साथ खेलने वाले झोलाछाप डॉक्टरों पर अंकुश लगा पाने में भी विफल हैं। सूत्रो के अनुसार विकास खंड नवाबगंज में पशुओं का इलाज कराना टेढ़ी खीर साबित हो गया हैं। सरकारी पशु चिकित्सालय मात्र दिखावा साबित हो रहे है। बेजुबान पशुओं को लगने वाले टीके वास्तविकता में ना लगकर मात्र कागजी कोटा भर दिया जाता है। यहां के पशुपालक जहां सरकारी पशु अस्पताल से अपना मुंह मोड़ चुके हैं। वहीं इसका भरपूर फायदा झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे है। जानकारो का कहना हैं कि क्षेत्र के रंजीतबोझा, पचपकरी, पोखरा, मिहींपुरवा, सहाबा, बघमरवा, साईगांव, बक्सीगांव, शिवपुरमोहरनिया, महमदी, परमपुर, आदि ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ सी आ गई हैं। ग्रामीणो का कहना है कि इलाज में कई ऐसे लोग काम कर रहे हैं। जिनका पशु विभाग से कोई संबंध ही नहीं है। क्षेत्रों में कई झोलाछाप डाक्टर झोला लिए गांव गांव घूम रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि समय से सरकारी पशु डॉक्टर के ना रहने से लोग मजबूरन झोलाछाप डाक्टरो का सहारा लेते है। पशु अस्पताल के डॉक्टर तो अक्सर गायब ही रहते हैं। कंपाउंडर भी दवा देने के नाम पर अतिरिक्त रुपए की मांग करते हैं। क्षेत्रों में पशु का बीमार होना यानी  पशुपालक की शामत आने के बराबर हैं। जानकारों की मानें तो अब तक इलाज के अभाव में अनेकों पशुओं ने दम तोड़ दिया हैं। इसका जिम्मेदार चिकित्सालय स्टाफ ही तो है। इस संबंध में बाबागंज पशु चिकित्सालय के डा० प्रदीप कुमार वर्मा से बात की गयीं तो उन्होंने बताया कि हमारे पशु चिकित्सालय मे चतुर्थश्रेणी   की लक्ष्मी की तैनाती हैं इनके पति को अगर कोई गांवो मे पशुओ के इलाज के लिए बुलाता हैं तो वो बाहर की दवाएं लेकर जाते हैं। इस लिए दवाइयां महगी पड़ती हैं। इस लिए अधिक पैसा लेते हैं। सहाबा गांव के ग्रामीणो ने बताया कि बाबागंज अस्पताल से लक्ष्मी का पति जो नेपाली है। यहां पशुओं के इलाज करने पर अधिक पैसा ग्रामीणो से वसूलता हैं। रूपईडीहा से लगभग एक किलोमीटर दूरी पर पचपकरी गांव के निकट स्थित पशु चिकित्सालय मे डाक्डर अंकुर विहारी तैनात है। वह बहुत कम ही अस्पताल आते हैं। यहां पर  एक लड़के को पशुओं के इलाज के लिए बैठा रखा हैं। जब ग्रामीण अपने पशुओं के इलाज के लिए जाते है और वहां तैनात डाक्टर को पूछते हैं तो वह कहता हैं कि डाक्टर साहब अभी आते होगे। वह पशुओं का इलाज करने लगता है। क्षेत्र के ग्रामीणो ने बताया कि यहां के डाक्टर अस्पताल मे बहुत कम ही आते हैं।

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