कोरोना संक्रमित मरीज को ईसीएमओ सपोर्ट के साथ नेपाल से लाया गया दिल्ली, बची जान

मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पांडेय नई दिल्ली ) ईसीएमओ मरीजों के इलाज में लगातार प्रगति देखने को मिल रही है। मेकेनिकल वेंटिलेटर और लाइफ सपोर्ट ईसीएमओ मशीन की मदद से साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने नेपाल के 37 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव मरीज की जान बचाई गई। मरीज को इलाज के लिए दिल्ली ले जाना जरूरी था इसलिए उसे नेपाल से एयरलिफ्ट किया गया। मरीज, अभिषेक कुमार अग्रवाल की रिपोर्ट में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम का पता चला, जिसके बाद डॉक्टरों की एक टीम एयरक्राफ्ट की मदद से काठमांडू आयी और उसे तुरंत वीवी ईसीएमओ सपोर्ट पर रखा गया।

साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के कार्डियोवस्कुलर सर्जरी विभाग के हार्ट ट्रांसप्लान्ट और वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइसेस के डायरेक्टर, डॉक्टर केवल कृषण ने बताया कि, “मरीज लगभग एक महीने से बुखार से जूझ रहा था। शुरुआत में घर पर ही इलाज हुआ लेकिन फिर उसे सांस लेने में मुश्किल होने लगी। जिसके बाद कोरोना का पता चला। उसे काठमांडू के एक अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन शरीर में ऑक्सीजन का स्तर लगातार गिरता जा रहा था। तभी मरीज के परिवार वालों ने हमसे बात की, जिसके बाद हम तुरंत काठमांडू पहुंचे और उसे वीव ईसीएमओ सपोर्ट पर रखा। हम उसकी नियमित रूप से जांच कर रहे थे और जरूरत के अनुसार इलाज की प्रक्रिया में भी बदलाव कर रहे थे। ”मरीज को वीवी ईसीएमओ सपोर्ट के साथ कार्डियोथोरेसिस इन्टेंसिव केयर यूनिट (सीटीवीएस आईसीयू) में भर्ती किया गया। इसके साथ आई/वी एंटीबायोटिक्स की शुरुआत भी की गई। रोडियोलॉजी इमेजेस से पता चला की उसके बाएं फेफड़े में न्यूमोथोरैक्स था, जिसका मतलब था कि यह जल्दी ही पूरी तरह खराब होने वाला था। ड्रेनेज के लिए सीने के बाईं तरफ ट्यूब लगाई गई और एंटीबायटिक्स में भी जरूरत अनुसार बदलाव किए जा रहे थे। सीटी पल्मोनेरी एंजियोग्राफी से नॉर्मल रिपोर्ट मिली और एचआरसीटी से पता चला कि बायां फेफड़ा भी रिकवर कर रहा है। कमज़ोर मांसपेशियां, हाथों-पैरों और चेहरे में सामान्य कमजोरी के लिए न्यूरोलॉजी कंसल्टेशन दी गई। नवंबर की शुरुआत में, वीवी ईसीएमओ सपोर्ट हटा दिया गया लेकिन वेंटिलेटरी सपोर्ट आधे नवंबर तक जारी रखा गया। हालांकि, उसके 2 दिनों तक फिजियोथेरेपी सपोर्ट दी गई जिसकी मदद से मरीज बिना किसी सहारे के अपने पैरों पर वापस खड़ा हो सका।


डॉक्टर कृषण ने जानकारी देते हुए बताया कि, “ईसीएमओ मशीन मरीज की जान तो बचा सकता है लेकिन बीमारी का इलाज नहीं कर सकता है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे इलाज की मदद से न सिर्फ मरीज को ईसीएमओ से जल्दी छुटकारा मिला बल्कि वह तेजी से रिकवर भी कर रहा है। मशीन केवल मरीज को सपोर्ट प्रदान करता है जबकी हेल्थकेयर टीम बीमारी का इलाज करती है। मरीज की हालत देखकर हमें लगा नहीं था कि वह इतनी जल्दी रिकवर करेगा, बावजूद इसके हमने इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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