ज़माना चाहता है मौत लेकिन मुझे जीने की ख़्वाहिश हो रही है :- लेखक बलजीत सिंह बेनाम

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा नई दिल्ली )


गजल :-


दिलों पर जब से आतिश हो रही है


निग़ाहों की गुज़ारिश हो रही है।


ज़माना चाहता है मौत लेकिन


मुझे जीने की ख़्वाहिश हो रही है।


नगर की सारी गलियाँ सूनी क्यों हैं


कहीं क्या कोई साज़िश हो रही है।


ग़ज़ल के नाम पर होते लतीफ़े


ग़ज़लकारों से लग्ज़िश हो रही है।


लेखक :- बलजीत सिंह बेनाम


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