राजतंत्र में राजा की एक गलती से प्रजा में हाहाकार मच जाता था :- लेखक बी एन झा

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) देश मे खाजपा पार्टी को लेकर वैदिक सिद्धांतों के आधार पर यही कहना उचित है कि जिस प्रकार क्रोध आने के समय कोई व्यक्ति यदि शरीरिक रूप से कमजोर है तो उसका अपना शरीर ही कंपित होने लगता है। वह उस क्रोध को धारण करने में असमर्थ होता है।इसी प्रकार सिद्धांत विहीन तथा कथित राष्ट्रवादी व्यक्ति को यदि धन,पद, सामाजिक प्रतिष्ठा मिल जाए तो वह स्वयं की, समाज की एवम देश की क्षति ही करता है,उसे लाभ नही दे पाता है। इस जगत में हर मनुष्य को पदार्थों, सुख-दुख की प्राप्ति, उसकी अनुकूलता या पात्रता के ही अनुसार हो सकती है,जो इस सिद्धांत/विधान के विरूद्ध आचरण करेगा वह दंडित, निंदनीय तथा दुख का भागीदार भी होगा। एक ही धन सदपुरूष धर्मोक्त कर्मों में व्यय करता हुआ पुण्य अर्जन करता है,तो वही धन पतित व्यक्ति पाप रूप कर्मों में व्यय करता है। यह अटल सत्य है। सत्याचरण की प्राप्ति से श्रेष्ठ कोई गुण या योग्यता अन्य नही हो सकती है। खाजपा और उसके अंधसमर्थकों में यह कमी दिखाई नही देती है। इतिहास गवाह है कि राजतंत्र में राजा की एक गलती से प्रजा में हाहाकार मच जाता था, आज पुनः देश में राजतंत्र आकर इस बात को प्रमाणित कर रहा है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। भारत माता की जय और वन्देमातरम के साथ यही कामना है कि आप सभी का दिन शुभ हो।


( लेखक बी एन झा )


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