"आओ गुनगुना ले गीत" पर एक कवि सम्मेलन "भारत की माटी" शीर्षक को लेकर हुआ कार्यक्रम सम्पन्न..

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) व्हाट्स एप ग्रुप' पर 'आओ गुनगुना लें गीत' पर एक कवि सम्मेलन "भारत की माटी" शीर्षक को लेकर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । सम्मेलन में कईं राज्यों के प्रतिष्ठित कवियों ने राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत कविताएं पढकर देश के नागरिकों को जागरूक करने का काम किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरिद्वार निवासी प्रसिद्ध छन्द शिल्पी बृजेन्द्र हर्ष ने की। सुप्रसिद्ध गीतकार डा०जयसिंह आर्य ने अध्यक्ष, मुख्य अतिथि डा०कृष्णकुमार नाज़-मुरादाबाद, विशिष्ट अतिथि डा०चैतन्य चेतन-बरेली, विनय विक्रम सिंह-नोएडा, संचालक संजय जैन-दिल्ली और देश के कोने-कोने से सम्मिलित काव्य मनीषियों का काव्यमय स्वागत किया। सम्मेलन पूनम रजा-हरिद्वार द्वारा सुमधुर गायन में प्रस्तुत सरस्वती वन्दना के साथ प्रारम्भ हुआ। अध्यक्ष बृजेन्द्र हर्ष ने अपनी रचना के माध्यम से कहा- "महका रही वतन को खुशबू से रात-दिन, चन्दन से कम नहीं है इस देश की माटी ।।" स्वागताध्यक्ष डा०जयसिंह आर्य ने देश-प्रेम के लिए सबका आह्वान करते हुए कहा- "आज तिरंगे को सबसे ऊंचा फहराएं हम। आओ भैया इस माटी का तिलक लगाएं हम ।।" डा०कृष्णकुमार नाज़ ने पढा- "ये वो धरती है जहां बात की खातिर ए नाज़ बिक गये खुद भी हरिश्चन्द्र से दानी अक्सर ।।" डा०चैतन्य चेतन की कविता का अंश- "काट-छांट, बांटना ही धर्म जिनका रहा है, एकता-अखण्डता की बात करते हैं वो । दांव पे लगाके देश कर रहे हैं राजनीति, दूसरों का पेट काट,पेट भरते हैं वो । नोएडा से पधारे कवि विनय विक्रम सिंह ने काश्मीर घाटी का दर्द यूं व्यक्त किया:- कहां बुलबुलें वो सबा वो फुहारें, कहां छौंक माटी की सौंधी दुलारें * कहां केसरी गीत में मुश्क़ बाकी शिकारें कहां जो किनारे उतारे कार्यक्रम का सौम्य संचालन करते हुए संजय जैन ने कहा- "माटी मेरे देश की,तेरा है अभिमान । मां भारती की वन्दना,अपना स्वाभिमान ।।" शामली से ओजस्वी कवि प्रीतमसिंह, प्रीतम ने अपने काव्यपाठ में कहा- "विप्लव, प्रलय, कलह संवर्धन, युद्ध, कहीं जग में झगड़े । शान्ति पताका हाथ थामकर, हम चलते होकर अगड़े ।।" इनके अतिरिक्त मंगलसिंह मंगल-मेरठ, प्रेमसागर प्रेम-नोएडा, अनिल पोपट शामली, गाफिल स्वामी-हाथरस, सन्तोष त्रिपाठी इन्दौर, डा०पंकजवासिनी-पटना, डा०सीमा विजयवर्गीय‌- अलवर, सुषमा सवेरा मेरठ, पूनम रजा-हरिद्वार और कृष्णकुमार निर्मल ने भी काव्य पाठ किया।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अहिंसा परमो धर्मः परंतु सेवा भी परमो धर्म है :- आचार्य प्रमोद कृष्णम

पयागपुर विधानसभा के पुरैनी एवं भवानी पुर में विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम का हुआ आयोजन

भीषण गर्मी के कारण अधिवक्ता रामदयाल पांडे की हुई मौत