सोचता हूँ जाने कब धुंदले से हो गए, बिखर गए वो 'अक्स' ,,, आहिस्ता आहिस्ता..
मैट्रो मत न्यूज ( अरुण शर्मा 'अक्स' ) 🤔जब कभी तन्हाई में गुम होते महसूस करता हूँ ,उन हंसी रिश्तों को ,,,आहिस्ता आहिस्ता ।।।।
सोचता हूँ जाने कब धुंदले से हो गए, बिखर गए वो 'अक्स' ,,, आहिस्ता आहिस्ता ।।।।
एक जमाना था ,एक दौर था वो भी ,,, मीत जो हमदर्द हुआ करते थे......
अब जाने कहाँ दफन हो गए वो अहसास, वक़्त की आगोश में ,,,आहिस्ता आहिस्ता ।।।।.......✍🏼
~आपका अरुण 'अक्स