क्या आज भारत को लूट मुक्त मृत्यु बिल की आवश्यकता है :- मणिकेश चतुर्वेदी

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली ) जहा एक ओर कोरोना नामक महामारी ने देश ही नही विदेशों तक मे तहलका मचा रखा है वही दूसरी ओर इसके बचाव के लिये सरकार ने लॉकडाउन लगाकर देश को बचाने का बीड़ा उठाया हुआ है इसी के चलते समाज मे एक जबरदस्त बदलाव देखने को मिला जिसने लोगो की जीवन शैली को ही बदल कर रख दिया है कहना है समाजसेवी मणिकेश चतुर्वेदी का आइये जानते है इस मामले को लेकर उनकी क्या प्रतिक्रिया है। उन्होंने बताया आज सभी अस्पतालों की OPD बन्द है आपातकालीन वॉर्ड में भी कोई भीड़ भाड नही है। क्योंकि कोरोना संक्रमण से सशंकित मरीजों के अलावा और कोई नए मरीज नही आ रहे हैं सड़कों पर भी वाहन ना होने से दुर्घटनाएं नही हो रही ना हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, ब्रेन हैमरेज जैसे मामले आ रहे है ? आज अचानक ऐसे मरीजों की बहुत तादाद में कम हो गए । आज अचानक ऐसा क्या हो गया,जो अन्य बीमारियों के मामलों में इतनी भारी गिरावट आ गई ? यहाँ तक कि शमशान तक जाने वाले मृतको की संख्या में भी काफी गिरावट दर्ज हो गई हैं। क्या कोरोना वायरस ने बाकी सभी अन्य बीमारियों को नियंत्रित कर लिया है या पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया है ?


नही ऐसा ? बिल्कुल नही है ?


      दरअसल केरोना की वजह से शायद अब एक यक्षप्रश्न स्पष्ट पैदा होने लगा है  कि क्या वाकई जहाँ कोई गंभीर रोग नही  हुआ करता था,वहाँ पर भगवान का दर्जा    प्राप्त डॉक्टर उसे जान बूझ कर गंभीर स्वरूप देते रहते थे और तुरंत सारे टेस्ट्स लिख कर करने को कहते थे...? जब से भारत में कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स, टेस्टिंग लेब्स की बाढ आई , तभी से यह संकट गहराने लगा था। कि मामूली सर्दी, जुकाम और खांसी में भी विभिन्न प्रकार के महंगे टेस्ट्स करनें के लिए लोगों को उकसा कर मजबूर किया जाता था छोटी से छोटी तकलीफ में भी प्राय: डॉक्टरस धड़ल्ले से ऑपरेशन करते नजर आ रहे थे। मरीजों को यूँ ही अकारण ICU मे धकेल कर रखा जा रहा था और यही कारण था  कि बीमारी से ज्यादा भयभीत उपचार लगने लगा था। अब कोरोना वायरस आने के उपरांत यह सब अचानक कैसे बन्द हो गया ये क्या चमत्कार है? इसके अलावा एक और सकारात्मक बदलाव आया है। कोरोना आने से लोगों के होटल में खाने पर भी अंकुश लग गया है लोग स्वयं ही बाहर के सड़क छाप या बड़ी होटलों से अधिक घर का खाना पसंद करने लगे हैं।ताकि भविष्य में निश्चित रूप से बीमारियों का ग्राफ नीचे गिरते रहने की संभावनाएं है। लोगों के अनेक अनावश्यक खर्च बंद हो गए हैं ? कोरोना नें इंसान की सोच में परिवर्तन ला दिया है। हर व्यक्ति जागृत हो रहा है व शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए कितनी कम जरूरतें हैं उसकी अब यह अगर वास्तव में समझ में आ रहा हो, तो लोग बीमारियाँ, भोजन, और पैसे की चिंताओं से बहुत हद तक मुक्ति प्राप्त करने के करीब होंगे। आज नहीं तो कल कोरोना पर तो नियंत्रण हो ही जाएगा, पर उससे हमारा जीवन जो आज नियंत्रित हो गया है, उसे यदि हम आगे भी इसी तरह नियंत्रण में रखें, आवश्यकताएँ कम रखे तो जीवन भी वास्तव में बहुत सुखद एवं सुंदर हो जाएगा।


क्या यही कडवा सत्य है.....???


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