अपनी जान खतरे में डाल लोगो के लिये देवदूत का काम कर रही सभी राज्यों की पुलिस..

मैट्रो मत न्यूज ( चेतन शर्मा दिल्ली )  आज कल पूरा विश्व कोरोना वायरस नामक खतरनाक महामारी से बचने के लिये अपने आप को घर मे कैद कर इसे ख़त्म करने में सरकार का साथ दे रहा है वही दूसरी और डॉ व पुलिस अपनी जान खतरे में डालकर लोगो के लिये देवदूत का काम कर रहे है दिल्ली, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित अन्य राज्यों की पुलिस जगह जगह अपनी गाड़ियों में खाने के पैकेट डाल कर भूखे मजदूर लोगो को खिलाकर उनके बचाव में जुटी है लेकिन पुलिस भी तो एक इंसान है ऐसा ही एक मामला देखने को मिला..हाल चौकी प्रभारी लक्ष्मण चौक कोतवाली देहरादून के लोकेश बहुगुणा का 6 दिन के बाद अपनी चौकी से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपने घर पहुंचे जहां उनके दो मासूम बच्चे जिनकी उम्र 4 व 7 साल उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे एक सप्ताह बाद देख बच्चे अपने पापा से मिलने के लिये दौड़ पड़े। स्वाभाविक ही था, पर यह अफसर घर के बाहर ही रहा और बच्चो को 10 फिट दूर दरवाज़े से ही देखते रहे। ड्यूटी के दौरान वे एक सप्ताह में हज़ारों लोगों के संपर्क में आये होंगे तो अपने परिवार की सुरक्षा के लिए अपने ही घर मे गैर बन गए और बाहर आंगन में बैठ पत्नी व बच्चो से बतियाते रहे। पत्नी ने खाना भी बाहर ही रख दिया जिसे कुछ मिनट में खाने के बाद पत्नी एवं बच्चो को जाली के दरवाजे से ही देखकर वापस चले गये।अफसर ने परिवार से ऊपर कर्तव्य को चुना। यह वास्तविक ज़िंदगी के हीरो है, काल्पनिक नही। भारत की जनता अभी भी कोरोना को जिस प्रकार मज़ाक में ले रही है यह उद्धरण उनके लिए है। कितना मुश्किल होगा इस बाप के लिए अपने परिवार से ना मिल पाना, बैरंग वापस ड्यूटी पर लौट आना। यह कहानी किसी अकेले लोकेंद्र की नही अपितु हर खाकीधारी की है। क्योंकि सुरक्षा ही बचाव है।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अहिंसा परमो धर्मः परंतु सेवा भी परमो धर्म है :- आचार्य प्रमोद कृष्णम

पयागपुर विधानसभा के पुरैनी एवं भवानी पुर में विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम का हुआ आयोजन

भीषण गर्मी के कारण अधिवक्ता रामदयाल पांडे की हुई मौत