ज्ञानेंद्र सिंह आर्य के सानिध्य में दस दिवसीय ऋग्वेद पारायण महायज्ञ आर्य बंधु इन्टर कालेज में धूमधाम से हुआ सम्पन्न..
मैट्रो मत न्यूज ( नीरज पांडेय ) उत्तर प्रदेश के महामंत्री व जिला आर्य प्रतिनिधि सभा, गाजियाबाद के ज्ञानेंद्र सिंह आर्य के सानिध्य में दस दिवसीय ऋग्वेद पारायण महायज्ञ आर्य बंधु इन्टर कालेज,सादत नगर, इकला में धूमधाम से सम्पन्न हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा स्वामी अखिला नंद सरस्वती रहे,उन्होंने यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डाला व मुख्य यज्ञमानों आर्य बन्धु परिवार के श्रीमती दीप्ति व सतेंद्र आर्य, श्रीमती सुनिता व ओमेंद्र आर्य,श्रीमती अमिता व देवेंद्र आर्य,श्रीमती गीता व नवाब सिंह भाटी आदि को आशीर्वाद प्रदान किया।सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक महाशय जगमाल ,प्रवीण आर्य व साथी कलाकारों ने ईश भक्ति व देशभक्ति के गीतों से समा बांध दिया,राष्ट्र के प्रति समर्पित गीतों को सुनकर श्रोता झूम उठे। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री पण्डित महेन्द्र भाई ने कहा की इस शरीर में कोई सुन्दरता नहीं है,मनुष्य के कर्म, व्यवहार,संस्कार,चरित्र आदि गुणों के कारण शरीर की सुन्दरता है, उसी के पद व गुणों को समाज सम्मान देता है।मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता सुन्दर स्वस्थ शरीर,पहला सुख निरोगी काया, इसलिए पहले शरीर को स्वस्थ बनावो,सूर्य प्रकाश देता है और अंधकार दूर करता है आपको भी विद्वानों के सत्संग में जाना है तभी आपके अंधकार रूपी अज्ञान दूर होगा,ज्ञान रूपी प्रकाश प्राप्त होगा।सर्वरक्षक ईश्वर हमारी हर ओर से रक्षा करता है।
यज्ञ के ब्रह्मा स्वामी अखिलानंद जी ने सभी को मकर संक्रांति की बधाई देते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी दयानन्द के मिशन से जुड़ना प्रत्येक आर्य का पुनीत कर्तव्य है,उन्होंने बताया कि वेदों की शिक्षा के प्रचार प्रसार के बिना विश्व मे शांति नहीं ला सकते, मनुष्य के पास अपनी कोई जानकारी नहीं होती,आर्य समाज जो वेद के कल्याणकारी चिंतन विश्व को देता है उसी के माध्यम से संसार का उपकार हो सकता है,बहुत ही सरल ओर सहज वाणी में उक्त विचार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्र के प्रति जागरूक रहे, आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य संसार का उपकार करना है अर्थात शारीरिक, आत्मिक ओर सामाजिक उन्नति करना लेकिन आज व्यक्ति केवल अपने लिये जी रहा है,उन्होंने आह्वान किया कि वेद का संदेश संसार के आखरी व्यक्ति तक पहुँचना चाहिये तभी हमारा देश विश्वगुरु के पद पर पुनः आसीन हो सकेगा।आचार्य प्रमोद शास्त्री ने सौ वर्ष कर्म करते हुए जीने के लिये प्रेरणा दी,ओर कहा तेरा कर्म करने में अधिकार है,फल में नही,फल देना प्रभु के आधीन है। इस अवसर पर सर्वश्री स्वामी देवमुनि,सलेक चंद आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।इस अवसर पर सर्वश्री मुनीश आर्य,शशि कसाना,विजेन्द्र आर्य, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रांतीय मंत्री प्रवीण आर्य, राम कुमार सिंह,तेजपाल सिंह,डोली धाकड़,आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे। मंच संचालक श्री ज्ञानेंद्र सिंह आर्य ने दूर दराज से पधारे सभी आगंतुकों का स्वागत एवं धन्यवाद किया।शांति पाठ के साथ समारोह सम्पन्न हुआ,ऋषि लंगर ग्रहण कर लोग घरों को लोटे।