जेपी इंफ्राटेक कंपनी को दिवालियापन से बचाने के लिए घर खरीददारों को वोट करने की जरूरत...

मैट्रो मत ( न्यूज चेतन शर्मा नोएडा ) कंपनी जेपी इंफ्राटेक के 22,000 से अधिक घर खरीददारों को अपने अपार्टमेंट की डिलीवरी प्राप्त करने और कंपनी को दिवालियापन में जाने से बचाने के लिए बोली लगाने वालों- एनबीसीसी और सुरक्षा रियलिटी दोनों के लिए मतदान की आवश्यकता है।
रियलटी क्षेत्र के विश्लेषकों के अनुसार किसी रिज़ॉल्यूशन की संभावना तभी अधिक होगी जब खरीददार दोनों बोली लगाने वालों का चयन करें। किसी एक के पक्ष में मतदान करने से कंपनी के दिवालिया होने की संभावना बढ़ जाएगी। यदि खरीददार एक योजना के लिए मतदान करते हैं और बैंकर दूसरे के लिए मतदान करते हैं तो कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस निश्चित रूप से दिवालियापन के लिए जाएगा। क्योंकि बैंकर अब तक मतदान नहीं किये हैं। मतदान प्रक्रिया में अब मात्र दो दिन बचे हैं। यदि दिवालियापन में जेपी इंफ्राटेक चली जाती है तो इससे सबसे अधिक नुकसान घर खरीददारों को होगा क्योंकि वे असुरक्षित निवेशक की श्रेणी में है।
सूत्रों के अनुसार, बैंकर सुरक्षा रियलिटी के पक्ष में हैं। इस तरह से खरीददारों और बैंकरों के बीच मतदान का विभाजन होगा और किसी को भी 66 प्रतिशत मत प्राप्त नहीं होगा। एनबीसीसी और सुरक्षा रियलिटी दोनों ने पिछले सप्ताह अपनी बोलियों को संशोधित किया था।
मूल्यांकन मैट्रिक्स के अनुसार, एनबीसीसी की पेशकश का सकल मूल्य 5,802 करोड़ रुपये है, जबकि सुरक्षा रियल्टी का 6,440 करोड़ रुपये है। घर खरीददारों के पास, जेपी इंफ्राटेक के लेनदारों के पैनल में, लगभग 58 प्रतिशत मतदान हिस्सेदारी है, जबकि शेष 42 प्रतिशत शेयर कुल 13 बैंकरों के पास है। किसी भी योजना की मंजूरी के लिए, कम से कम 66 प्रतिशत मत की आवश्यकता है। 10 दिसंबर से शुरू हुआ मतदान 16 दिसंबर तक चलेगा।
 इस बीच संपत्ति मूल्याकंन करने वाली कंपनी आरबीएसए ने अपनी एक रिपोर्ट में सुरक्षा रियलटी के प्लान को एनबीसीसी के प्लान के बेहतर बताया है। जेपी इन्फ्राटेक की परिसंपत्तियों को हासिल करने के लिए अंतिम प्रस्ताव योजनाओं पर आरबीएसए द्वारा किए गए मूल्यांकन से पता चला है कि सुरक्षा रियलिटी की अगुवाई वाली एसपीवी की बोली को सरकार द्वारा संचालित एनबीसीसी की बोली से अधिक अंक आए। सुरक्षा रियलिटी की बोली को आवास इकाइयों की डिलीवरी, खरीदाराें और बैंकरों के लिए नकदी निवेश के मामले में अधिक अंक मिला। बोलियों का मूल्यांकन,जेपी इन्फ्राटेक के अंतरिम रिज़ॉल्यूशन पेशेवर अनुज जैन और ऋणदाताओं की समिति की सलाह के लिए आयोजित किया गया था। इसे गत 8 दिसंबर को सीओसी को सौंप दिया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा रियलटी ने खरीददारों को तीन वर्ष में कब्जा देने की पेशकश की है जबकि एनबीसीसी ने इसके लिए साढ़े तीन वर्ष का समय रखा है। एनबीसीसी बैंकरों को यमुना एक्सप्रेस वे और जेपी की 1526 एकड़ जमीन देगी जबकि सुरक्षा रियलटी बैंकों को 2226 एकड़ जमीन देकर उनका हिस्सा खत्म कर देगी। एनबीसीसी जमीन के बदले मिलने वाले 2500 करोड़ रुपये से निर्माण शुरू करेगी जबकि सुरक्षा यमुना एक्सप्रेसवे के टोल वसूली को निर्माण में लगायेगी। एनबीसीसी 120 करोड़ रुपये शुरू में अपनी ओर से निवेश कर काम शुरू करेगी जबकि सुरक्षा इस काम के लिए 190 करोड़ रुपये लगायेगी। कब्जा देने में देरी होने पर एनबीसीसी खरीददारों को कोई भुगतान नहीं करेगी जबकि सुरक्षा ने इसके लिए 250 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है।

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