जीवन बहुत अनमोल है। इसे तो उत्सव बनाकर जिया जाना चाहिए..

आज का भगवद् चिंतन ॥


मैट्रो मत न्यूज ( अरुन शर्मा )
प्रभु चरणों का दृढ़ाश्रय हमें किसी भी स्थिति में प्रसन्न रहना सिखाता है। आश्रय जिस अनुपात में होगा हमारी प्रसन्नता और अप्रसन्नता भी उसी अनुपात में होगी।


जीवन बहुत अनमोल है। इसे तो उत्सव बनाकर जिया जाना चाहिए लेकिन जिस जीवन में कोई प्रसन्नता ही नहीं वह जीवन उत्सव कैसे बन सकता है..?


उत्सव का अर्थ जीवन के उन क्षणों से है, जिन क्षणों में हम प्रसन्न रहते हैं। इसलिए सही अर्थों में समझा जाए तो प्रसन्नता ही जीवन का उत्सव है।


बहुत बड़ी संपत्ति का अर्जन भी प्रसन्नता का आधार नहीं है अपितु प्रभु चरणों का दृढ़ाश्रय ही हमारी प्रसन्नता का आधार है।


भक्तों के जीवन में दुख तो बहुत होता है मगर जीवन का प्रत्येक क्षण एक उत्सव के समान ही होता है क्योंकि प्रभु चरणों का आश्रय उनके अंतर के समस्त द्वंदों का हरण कर लेता है।


थोड़ा प्रयास तो करो! मनुष्य होकर भी प्रसन्नता में जीवन जीना नहीं सीखा तो क्या सीखा..? प्रसन्नता और उल्लास में जीना ही जीवन है,  प्रत्येक क्षण निराशा-कुंठा में होने का अर्थ है जीवन का समाप्त हो जाना। 


      🌹हरे कृष्णा🌹


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