किसी दूसरे की समृद्धि या उसकी किसी अच्छी वस्तु को देखकर यह भाव आना कि यह इसके पास ना होकर मेरे पास होनी चाहिए थी, बस इसी का नाम ईर्ष्या है..
॥ आज का भगवद चिन्तन ॥
मैट्रो मत न्यूूूज (अरुन शर्मा ) किसी की उन्नति, वैभव को देखकर ईर्ष्या मत करो क्योंकि आपकी ईर्ष्या से दूसरों पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा मगर आपका स्वभाव जरूर विगड़ जाएगा। किसी दूसरे की समृद्धि या उसकी किसी अच्छी वस्तु को देखकर यह भाव आना कि यह इसके पास ना होकर मेरे पास होनी चाहिए थी, बस इसी का नाम ईर्ष्या है।
ईर्ष्या सीने की वो जलन है, जो पानी से नहीं अपितु सावधानी से शांत होती है। ईर्ष्या की आग बुझती अवश्य है किन्तु बल से नहीं, विवेक से। ईर्ष्या वो आग है जो लकड़ियों की नहीं अपितु आपकी खुशियों को जलाती है।
अत: संतोष और ज्ञान रूपी जल से इसे और अधिक भड़कने से रोको ताकि आपके जीवन में खुशियाँ नष्ट होने से बच सकें। जलो मत साथ- साथ चलो। क्योंकि खुशियाँ जलने से नहीं अपितु सदमार्ग पर चलने से मिला करती है।
🌹Hare Krishna🌹