जो लोग इस इशारे को समझ लेते हैं, वो सब भोग विलास का त्याग करके उस प्रभु की शरण में चले जाते हैं..
।। आज का भगवद चिन्तन ।।
मैट्रो मत न्यूज़ ( अरुन शर्मा ) -महारास एक चिंतन-
प्रथमतः उस ब्रह्म द्वारा बाँसुरी का नाद किया जाता है अर्थात् जीव को अपनी तरफ आकर्षित करने हेतु आवाज लगाई जाती है। कुछ लोग इस आवाज को सुन नहीं पाते हैं। कुछ सुन तो लेते हैं लेकिन समझ नहीं पाते हैं। मगर जो लोग इस इशारे को समझ लेते हैं, वो सब भोग विलास का त्याग करके उस प्रभु की शरण में चले जाते हैं।
जब जीव द्वारा पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ उस प्रभु की शरण ग्रहण की जाती है, तब उस प्रभु द्वारा अपना वह ब्रह्म रस उन शरणागतों के मध्य मुक्त हस्तों से वितरित करके उन्हें उस अलौकिक ब्रह्म रस का आस्वादन कराके निहाल किया जाता है।
जब तक जीव प्रभु के इशारे को अनसुना करके मैं और मेरे में उलझा रहता है, तब तक ही वह हैरान और परेशान रहता है मगर जिस दिन उसकी समझ में आ जाता है कि अब मेरे प्रभु मुझे बुला रहे हैं और वह सब छोड़कर उस प्रभु के शरणागत हो जाता है, उसी दिन उस प्रभु द्वारा उसे उस ब्रह्म रस में डुबकी लगाने हेतु महारास के उस ब्रह्म रस वितरण महोत्सव में प्रविष्ट करा दिया जाता है।
जिस रस को ब्रह्मा,शंकर प्राप्त करने को लालायित रहते हैं। उस रस को बृज की गोपियाँ प्राप्त करती हैं। श्रीराधा रानी तो रास की स्वामिनी हैं और श्री ठाकुर जी को भी नचाने वाली हैं। किशोरी जी की कृपा होती है तभी जीव को रास का आनंद प्राप्त होता है।
शरदपूर्णिमा की आप सबको बधाई। -हरे कृष्णा मित्रों-