हिंदुस्तान के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में से एक थे शहीद भगत सिंह..

मैट्रो मत न्यूज ( प्रवीन जोशी ) हिंदुस्तान के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में से एक शहीद भगत सिंहजिसके नाम से अंग्रेज इतना भय खाते थे भगत सिंह को फांसी के दिन से एक दिन पहले ही फांसी दे दी गयी ताकि जनता विद्रोह न कर दे । लेकिन जो काम भगत सिंह करना चाहते थे वो काम हो चुका था । भारत की सोई हुई जनता को जगाया और उसमें क्रांति की चिंगारी भर दी । उस चिंगारी में बस हवा दिखानी बाकी थी। पर उस समय भारत की बागडोर ऐसे कायर हाथो में थी जो अंग्रेजो का खिलौना था , उनके हाथों की कठपुतली था । भगत सिंह ने अपनी प्राणों की आहुति देकर  भारत भर में जनमानस के दिलों में जो चिंगारी जलाई थी उसको तथाकथित महात्मा ने मिट्टी कर दिया। महात्मा गांधी जो अहिँसा का पुजारी था लेकिन जब विश्व युद्ध छिडा तो उसमें भारतीय सैनिकों को जो उस वक़्त अंग्रेजो के अधीन थे , को युद्ध में भाग लेने के लिए प्रेरित किया तब अहिँसा कहाँ गयी थी । गांधी को अपने क्रांतिकारी आतंकी लगते थे जबकि यही क्रांति करने वाले रूस जैसे देशों के लेनिन जैसे बागी क्रांतिकारी लगते थे । खैर ये तो रहा इतिहास अब जरा बात करते हैं आधुनिक भारत की जिसमे आजतक ‛भारत रत्न अवार्ड' भी रेवड़ी की तरह बांटे जाते रहे हैं जिसमें 1954 से लेकर 2019 तक कुछ नाम तो ऐसे है जिनका भारत तो क्या राज्य लेवल पर भी शायद ही नाम हो । सब पार्टियां एक दूसरे को खुश रखने के लिए ये अवार्ड लॉलीपॉप की तरह बांटती है। वी वी गिरी , जवाहरलाल नेहरू और अभी हाल ही में प्रणव मुखर्जी आदि कुछ नाम है , इनको ये अवार्ड किस कार्य के लिए दिये गए , कोई नही बात सकता । बहुत बड़ा अफसोस है कि देश के लिए फांसी का फंदा चूमने वालो के लिए किसी भी सरकार के पास कोई योजना नही है कोई सम्मान नही है।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अहिंसा परमो धर्मः परंतु सेवा भी परमो धर्म है :- आचार्य प्रमोद कृष्णम

पयागपुर विधानसभा के पुरैनी एवं भवानी पुर में विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम का हुआ आयोजन

भीषण गर्मी के कारण अधिवक्ता रामदयाल पांडे की हुई मौत