दिल्ली के आरटीवी बसों में करते हैं सफर तो हो जाए सावधान कट सकती है आपकी जेब
दिल्ली पुलिस के सहयोग से RTV बसों में सवारियों की कटती है जेब..
मैट्रो मत न्यूज ( बिनोद झा ) अगर आप दिल्ली के आरटीवी बसों में करते हैं सफर तो हो जाए सावधान, कट सकती है आपकी जेब के रुपये, और मोबाइल पर कर दिए जाएंगे हाथ साफ़। जबरन धक्का देकर छीन लेंगे आपकी पर्स। जी हाँ आपको बता दूँ दिल्ली स्थित कल्याणपुरी क्षेत्रों में अथवा उस रास्ते से होते हुए अगर आप बसों में सफर करते हुए जा रहे हैं तो हो जाएं सावधान, हो सकता है आपका मोबाइल और रुपये चोरी। वैसे तो दिल्ली के त्रिलोकपुरी और कल्याणपुरी क्षेत्र वर्षों से लगातार पॉकेटमारी और जेबकतरों में बराबर अपनी सुर्ख़ियों में रहा है। मगर अब तो और कुछ ज्यादे ही जेबकतरों का मनोबल बढ़ता ही जा रहा है। आये दिन ऐसे ही मामले लगातार सामने आ रहे हैं जिसमें पुलिस की कार्यशैली नपुंसकता साबित कर रही है। पॉकेटमार-जेबकतरों को पकड़ने के वजाय करते हैं चोरों का सहयोग और बटोरते हैं पैसे । जिससे जेबकतरों का मनोबल दिनानुदिन बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली के मयूर विहार फेस 3 से चलनेवाली आरटीवी बस जो कि कल्याणपुरी से होते हुए शास्त्री पार्क के लिए जाती है इस बस में जेबकतरे यात्रियों के जेब से पैसे और मोबाइल निकाल लेते हैं। पीड़ित व्यक्ति जब अपनी प्रार्थना पत्र लेकर कल्याणपुरी थाने को जाता है तो पुलिस जेबकतरों को तलाशने एवं पकड़ने अथवा उनके खिलाफ कार्यवाही करने से गुरेज करते हैं। और उलटे पीड़ित व्यक्ति को डराने धमकाने में अपनी भलाई समझते हैं। एवं पीड़ित व्यक्तियों से ही तरह-तरह के सवाल कर भरसक प्रयास यह रहता है की मामले को टरका दिया जाय। और जब बात बिगड़ने आसार लगती है तो आनन् फानन में उसके एनसीआर काट दी जाती है। इसका खुलासा तो तब हुआ जब दिल्ली निवासी ही एक पत्रकार चाँद सिनेमा से आरटीवी बस में सवार हुए थे मयूर विहार फेस 2 जाने के लिए, मध्य रास्ते में पत्रकार महोदय जेबकतरों से अनजान होकर शाम के ठंढी हवा का सुखद आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे की अचानक उनको अपने मोबाईल का खयाल आया जब जेब टटोले तो तब तक जेब कतरों ने उनके जेब से मोबाइल पर हाथ साफ़ कर चुके थे। पत्रकार फ़ौरन अपनी गंतव्य स्थान जाने के वजाय कल्याणपुरी थाने के पुलिस को तत्काल इसकी सूचना उन्होंने थाने में दी।
मगर पुलिस ने एनसीआर काट दी और कार्रवाई के नाम पर टाल-मटोल की इस मामले को गंभीरता से लेने के वजाय यह कहकर टरकाने की कोशिश की- की हम अभी व्यस्त चल रहे हैं २-४ दिन बाद जब समय मिलेगा तो हम पड़ताल करेंगे। आप अपना IMEI नंबर मुंसी को लिखवा दो। और पत्रकार को रवाना कर दिया गया। जब पत्रकार ने अपने स्तर से जांच पड़ताल को आगे बढ़ाया तो बेहद चौकानेवाली और पुलिस की कार्यशैली को शर्मसार करनेवाली बातें सामने आई। अपने नाम को गुप्त रखने और गाड़ी नंबर नहीं बताने के शर्त पर पत्रकार को एक आर टी वी कंडक्टर ने बताया कि साहब आपका तो मोबाइल लेकर भी जान बख्स दिया गया, हम लोग रोक टोक करते हैं तो ये जेब कतरे मारते- पीटते भी हैं और गाड़ियों के शीशा तोड़ देते हैं। इसकी शिकायत हम लोगों ने कई बार थाने में भी की लेकिन पुलिस ने हम लोगों की बातों को कोई तबज्जो नहीं दिया और अनसुना कर दिया। जिससे जेब कतरों के हौसले दिन प्रतिदिन और बढ़ते ही जा रहे हैं। फिर पत्रकार ने अपने जांच को और आगे बढ़ाने की कोशिश की और भी अन्य लोगों से पूछताछ की गई तो,वह भी पुलिस और जेबकतरों के खौफ से अपना नाम गुप्त रखने के शर्त पर बताया की भाई साहब यहां तो सबका अपना अपना इलाका बटा हुआ है और पुलिस को ये सारी बातें पता है और सबको बाकायदे नाम से जानता है ये जितने भी बीट वाले हैं सब जानते हैं लेकिन आपका मदद कोई पुलिस नहीं कर सकता उनको इस काम से सुरक्षा प्रदान करने के लिए रुपये दिए जाते हैं। जबकी बीट वाले को सब पता रहता है कि इन इलाके के जेबकतरा कौन सा है लेकिन फिर भी पुलिस वाले इन पर हाथ नहीं डालते। क्योंकि इन लोगों को हर महीने की मंथली बंधी होती है इसकी परेशानी आम आदमी को भुगतना पड़ता है। लेकिन इन पुलिसवालों को कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि जहां इन्हें मोटी कमाई दिखती है उन्हीं को सुरक्षा प्रदान करेंगे न की पीड़ित को। इनको तो अपने जेब भरने के सिवाय कुछ नहीं दिखता ऐसा लगता है कि पुलिस इन चोरों-जेबकतरों को सहयोग प्रदान करने के लिए ही है।